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भारत में AIRTEL के 15 सालों के इतिहास पर लगेगी लगाम, छिन जाएगा नंबर 1 का तमगा

<p style="text-align: justify;"><strong>नई दिल्ली:</strong> नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी की एनसीएलटी ने आइडिया और वोडाफोन को एक साथ आने की मंजूरी दे दी है. जिसके बाद कंपनी के सबसे ज्यादा शेयर और रेवेन्यू शेयर की बदौलत एयरटेल अपने 15 सालों के इतिहास से पीछे छूटने वाला है. जी हां दोनों कंपनियों के एक साथ आने के बाद 15 सालों के बाद एयरटेल भारत की नंबर 1 कंपनी का दर्जा खो देगी.</p> <p style="text-align: justify;">आदित्य बिरला ग्रुप के सीनियर अधिकारी जो आइडिया का हिस्सा है उन्होंने कहा कि दोनों कंपनियों की साझेदारी के बाद नए आंकड़ो में 440 मिलियन सब्सक्राइबर्स का फायदा होगा तो वहीं 34.7 प्रतिशत का रेवेन्यू मार्केट होगा. दोनों की रेवेन्यू जहां 60 हजार करोड़ होगा तो वहीं दोनों कंपनियों के कर्जों को मिला दें तो ये आंकड़ा 1.15 लाख करोड़ को छू लेगा.</p> <p style="text-align: justify;">साझेदारी के बाद अब मार्केट में सिर्फ तीन ही टेलीकॉम कंपनियों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी जहां भारती एयरटेल, रिलायंस जियो और वोडाफोन- आइडिया शामिल हैं. इन तीनों के बीच अब सब्सक्राइबर्स को लेकर टक्कर होगी.</p> <p style="text-align: justify;">वोडाफोन और आइडिया सेल्यूलर के ग्राहकों की संख्या करीब 44.3 करोड़ है. वहीं भारती एयरटेल के ग्राहकों की संख्या 34.4 करोड़ है. बता दें कि सरकार ने 26 जुलाई को वोडाफोन इंडिया और आइडिया के विलय को मंजूरी दी थी. दोनों कंपनियों द्वारा एकमुश्त स्पेक्ट्रम शुल्क के रूप में 7,248.78 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने के बाद सरकार ने यह मंजूरी दी.</p>

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