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यदुवंशी का दूध, कुशवंशी का चावल, ब्रह्मर्षि का गुड़, अतिपिछड़े के पंचमेवा से उपेंद्र कुशवाहा बनाएंगे सियासी 'खीर'

<p class="title" style="text-align: justify;"><strong>पटना</strong>: केंद्रीय मंत्री और आरएलएसपी नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि एनडीए में कुछ लोग हैं जो नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के तौर नहीं देखना चाहते हैं. हालांकि, उन्होंने नाम नहीं बताया. कुशवाहा ने यह घोषणा की कि 'पैगाम-ए-खीर' नाम से एक सामाजिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा जिसकी शुरुआत 25 सितंबर को पटना से होगी.</p> <p class="title" style="text-align: justify;">खीर विवाद से उत्साहित उपेंद्र कुशवाहा अब नए अंदाज में खीर की व्याख्या करते नजर आए आ रहे हैं. उन्होंने कहा, ''यदुवंशी का दूध, कुशवंशी का चावल, ब्रह्मर्षि का गुड़ से खीर बनाई जाएगी. मगर उस खीर में तब तक स्वाद नहीं आएगा जब तक अतिपिछड़े समाज से पंचमेवा नहीं मिलाया जाए.''</p> <p style="text-align: justify;">खीर के बहाने जाति समीकरण को नया आयाम देते हुए कुशवाहा ने कहा, ''खीर में अनुसूचित जाति के यहां से तुलसी पत्ता, मुस्लिम भाई के घर से दस्तरखान का इंतजाम किया जाएगा. अनुसूचित, पिछड़ी और अति पिछड़ी जाति के साथ अगड़ी जाति और मुसलमानों के साथ मिल-बैठकर खीर बनाई जाएदी.'' हालांकि, कुशवाहा ने यह नहीं बताया कि आग का इंतजाम किस जाति अथवा समुदाय से किया जाएगा.</p> <p style="text-align: justify;">उपेंद्र कुशवाहा अब नए जातिगत समीकरण बनाने की जुगत में जुट गए हैं. उन्होंने कहा कि बिहार में पहले से ही प्रचारित अनुसूचित जाति-अतिपिछड़ों के अधिकारों के लिए सम्मेलन हो रहे हैं. उनके हक की लड़ाई और सभी वर्गों की भागीदारी के लिए कुशवाहा आवाज उठाते रहे हैं.</p> <p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा, ''शिक्षा क्षेत्र में अनुसूचित और अतिपिछड़ी जाति के बच्चे ही सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं. जब भी ऐसी बात सामने आती है तो इस विचार के लिए लोग पक्ष और विपक्ष में बंट जाते हैं. जिसके चलते तनाव और बढ़ जाता है.''</p> <p style="text-align: justify;">कुशवाहा ने कहा, ''तनाव नहीं बढ़ने चाहिए क्योंकि इससे आपस में ही गलतफहमी हो जाती है. कुछ लोग मानते हैं कि आरक्षण से नुकसान होता है लेकिन इसमें सच्चाई नहीं है.  दक्षिण के राज्य हमारे सामने ऐसे उदाहरण के तौर पर मौजूद हैं जहां सबसे ज़्यादा आरक्षण है, पर वो राज्य भी पिछड़े राज्यों में आते हैं. आरक्षण को लेकर जो वातावरण है वो गलतफहमी से भरा हुआ है. इसको लेकर राजनीतिक और सामाजिक कार्यक्रम चलाने की ज़रूरत है.''</p>

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