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प्लास्टिक खपत में 35% हिस्सा पैकेजिंग का, अमेजन इसकी जगह पेपर कुशन और फ्लिपकार्ट रिसाइकल्ड पेपर लाएगी

नई दिल्ली. सरकार 2 अक्टूबर से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी इसके संकेत दिए।सरकार का मानना है कि ई-कॉमर्स कंपनियां पैकेजिंग के लिए बड़ी मात्रा में प्लास्टिक इस्तेमाल करती हैं। देशभर में सालाना 1.78 करोड़ टन प्लास्टिक की खपत होती है। इसका 35% हिस्सा पैकेजिंग का है। सरकार के इस रुख के मद्देनजर कंपनियां अपने स्तर पर तैयारियां कर रही हैं। इसे लेकर दैनिक भास्कर APP ने देश की दो बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों अमेजन और फ्लिपकार्ट, गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन और प्लास्टिक रिसाइकिलंग के क्षेत्र में काम कर रहे एक्सपर्ट से बात की।


70% प्लास्टिक पैकेजिंग प्रोडक्ट कचरा बन जाता है
ई-कॉमर्स कंपनियां सामान को सुरक्षित पहुंचाने के लिए भारी मात्रा में प्लास्टिक पैकेजिंग करती हैं। यह बाद में कचरा बन जाता है। प्लास्टिक का सबसे ज्यादा 35% इस्तेमाल पैकेजिंग के लिए किया जाता है। वहीं, मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स की रिपोर्ट कहती है कि 70% प्लास्टिक पैकेजिंग प्रोडक्ट कुछ ही समय में प्लास्टिक कचरा बन जाते हैं।

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कई परतों में पैकेजिंग की वजह से प्लास्टिक का इस्तेमाल ज्यादा
ई-कॉमर्स इंडस्ट्री में पैकेजिंग की वजह से कितना प्लास्टिक कचरा निकलता है, इसका कोई आंकड़ा तो नहीं है, लेकिन इससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है। दरअसल, ई-कॉमर्स कंपनियां कई परतों में पैकेजिंग करती हैं। इसमें प्लास्टिक, पेपर, बबल रैप, एयर पैकेट, टेप और कार्डबोर्ड कार्टून्स होते हैं। अगर ये रिसाइकल नहीं हो पाते तो कचरा बनकर पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। अभी ई-कॉमर्स कंपनियां प्रोडक्ट की डिलीवरी के बाद पैकेजिंग का कचरा इकट्ठा नहीं करतीं। लोग भी इन्हें फेंक देते हैं।


प्लास्टिक का इस्तेमाल कम हो, इसलिए पेपर कुशन शुरू किया : अमेजन इंडिया
अमेजन इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट (कस्टमर फुलफिलमेंट) अखिल सक्सेना ने भास्कर APP को बताया कि उनकी कंपनी पैकेजिंग में सिंगल यूज प्लास्टिक का 7% से भी कम इस्तेमाल करती है। जून 2020 तक सिंगल यूज प्लास्टिक पैकेजिंग को 100% खत्म करने का लक्ष्य है। कंपनी ने ‘पेपर कुशन’ की शुरुआत की है, जो अमेजन फुलफिलमेंट सेंटर में ‘प्लास्टिक डनेज’ की जगह लेगा। इस पेपर कुशन में प्रोडक्ट को सुरक्षित रखा जा सकेगा। इसे कुछ फुलफिलमेंट सेंटर्स में लॉन्च भी कर दिया गया है। साल के अंत तक इसे सभी सेंटर में लॉन्च कर दिया जाएगा। इससे पैकेजिंग में प्लास्टिक के इस्तेमाल को खत्म करने में मदद मिलेगी।


प्लास्टिक पैकेजिंग के विकल्पों का अतिरिक्त भार ग्राहकों पर नहीं आएगा : अमेजन
अखिल सक्सेना बताते हैं कि प्लास्टिक की जगह दूसरे मटैरियल से पैकेजिंग के लिए जो खर्च बढ़ेगा, उसे कंपनी ही उठाएगी। ग्राहकों से इसके लिए अतिरिक्त खर्च नहीं लिया जाएगा। हम पैकेजिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले बबल बैग, पैकेजिंग मेलर्स, स्ट्रैच रैप और टेप के विकल्पों पर भी काम कर रहे हैं। इस साल की शुरुआत में कंपनी ने पैकेजिंग-फ्री शिपमेंट (पीएफएस) लॉन्च किया था। इसके तहत ग्राहकों को असल पैकेजिंग में ही प्रोडक्ट डिलीवर होता है। यह सुविधा अभी 13 शहरों में शुरू कर दी गई है। अमेजन पैंट्री (स्टोर, जिससे ग्राहकों को अगले ही दिन डिलिवरी मिल जाए) के 60% ऑर्डर को टोट्स में डिलीवर किया जाता है।


पैकेजिंग में मल्टी-यूज क्लॉथ जिपर बैग इस्तेमाल करेंगे : फ्लिपकार्ट
फ्लिपकार्ट की तरफ से भास्कर APP को दिए जवाब में बताया गया कि प्लास्टिक का उपयोग कम करने के लिए कंपनी तीन उपायों पर काम कर रही है। पहला- ब्रांड्स की ओर से ई-कॉमर्स रेडी पैकेजिंग, इसमें ब्रांड्स अपने प्रोडक्ट की पैकेजिंग इस तरह करेंगे, जिससे ई-कॉमर्स कंपनी उसे सुरक्षित डिलीवर कर सके और एक्स्ट्रा पैकेजिंग की जरूरत न पड़े। दूसरा- पैकेजिंग के लिए रिसाइकल्ड पेपर का उपयोग और तीसरा- मल्टी यूज क्लॉथ जिपर बैग का इस्तेमाल।


‘हमने सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल 25% तक कम किया’
फ्लिपकार्ट ने कहा कि कंपनी पैकेजिंग में पहले ही सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को 25% तक कम कर चुकी है। मार्च 2021 तक सप्लाई चेन में 100% रिसाइकल्ड प्लास्टिक का उपयोग किया जाएगा। पैकेजिंग में प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के लिए कंपनी ईको फ्रैंडली पेपर लिफाफे, पॉली पाउच की जगह रिसाइकल्ड पेपर बैग और बबल रैप्स-एयरबैग्स की जगह कार्टन वेस्ट श्रेडेड मटैरियल और 2 प्लाई रोल जैसे मटैरियल का उपयोग करने पर काम कर रही है।


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दूध के पाउच सिंगल यूज प्लास्टिक नहीं
गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (जीसीएमएमएफ) के मैनेजिंग डायरेक्टर आरएस सोढ़ी ने भास्कर को बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक में दूध के पाउच नहीं आते, क्योंकि इनकी मोटाई 55 माइक्रोन होती है। नियमों के मुताबिक, 50 माइक्रोन से कम मोटाई की पॉलीथीन के इस्तेमाल पर रोक है। दूध के पाउच 100% रिसाइकल होते हैं। अगर इन्हें बेचने जाएं तो 25-30 रुपए किलो के हिसाब से बेच सकते हैं।


टेट्रा पैक से दूध की पैकेजिंग का खर्च बढ़ेगा
सोढ़ी बताते हैं कि हमने कई एजेंसियों को हायर किया है जो दूध के पाउच को रिसाइकल करने का काम करती हैं। यह बात हम सरकार से भी कह चुके हैं। वे कहते हैं कि टेट्रा पैक भी प्लास्टिक और पेपर को मिलाकर बनाया जाता है। अगर इससे दूध की पैकेजिंग करेंगे तो हर लीटर पर 8 से 10 रुपए खर्च बढ़ जाएगा, जिससे दूध की कीमत बढ़ेगी।


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विकल्प : ई-कॉमर्स कंपनियां बायबैक स्कीम चला सकती हैं
वेस्ट मैनेजमेंट पर काम करने वाली बेंगलुरु की एक गैर-सरकारी संस्था ‘साहस जीरो वेस्ट’ की फाउंडर विल्मा रोडरीग्ज बताती हैं कि ई-कॉमर्स कंपनियों को पैकेजिंग में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करने के लिए तीन काम करने चाहिए।
1) प्लास्टिक मटैरियल का कम इस्तेमाल। कंपनियां छोटे-छोटे प्रोडक्ट्स की भी 2-3 परतों में पैकेजिंग करती हैं, जो गैर-जरूरी है।
2) प्लास्टिक का विकल्प। कंपनियों को प्लास्टिक, थर्माकॉल, बबल रैप आदि के विकल्प ढूंढने की जरूरत है।
3) कंपनियों को ग्राहकों को दिए प्रोडक्ट का पैकेजिंग मटैरियल वापस लेकर उसे दोबारा इस्तेमाल करना चाहिए। इसके लिए कंपनियां रिवर्स लॉजिस्टिक या बायपैक स्कीम शुरू कर सकती हैं।



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Plastic Packaging: Amazon India Vice President Akhil Saxena, Flipkart Spokesperson, and Gujarat GCMMF MD On Plastic Pack


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