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मुंबई से चंद्रकांत शिंदे. महाराष्ट्र में शरद पवार के भतीजे अजित पवार राकांपा से बगावत करके भाजपा के साथ सरकार में शामिल हुए थे। इसके बाद से ही परिवार के सदस्यों ने उन पर वापसी का दबाव बनाना शुरू कर दिया था। परिवार के लगातार आग्रह के बाद अजित पवार ने सरकार से इस्तीफा देने का फैसला किया।
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जब शरद पवार को ईडी का नोटिस मिला था, तब भी अजित पवार ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद उन्होंने अपने बेटे पार्थ पवार से कहा था- खेती करना, राजनीति करने से ज्यादा मुफीद है। इस बार जब परिवार ने उन पर लगातार दबाव बनाया, तो उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने की शर्त पर सरकार से इस्तीफा दिया। हालांकि, अजित पवार ने अब तक इस मुद्दे पर अपनी तरफ से कुछ भी नहीं कहा है।
सुप्रिया अपने पति सदानंद सुले के साथ अजित से मिलीं
शनिवार को अजित पवार ने जैसे ही उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने उनसे लौटने की अपील की। इसके बाद राकांपा के तमाम बड़े नेता अजित पवार से मिले और उनसे वापस लौटने को कहा। सोमवार को छगन भुजबल, दिलीप वलसे पाटिल और जयंत पाटिल ने चार घंटे तक अजित पवार से विधानसभा भवन में चर्चा की। हालांकि तब तक उन्होंने वापसी के संकेत नहीं दिए। मंगलवार सुबह नरीमन पॉइंट के एक फाइव स्टार होटल में सुप्रिया सुले अपने पति सदानंद सुले के साथ अजित पवार से मिलने पहुंचीं। सुप्रिया ने फोन पर शरद पवार से भी उनकी बात कराई। इसके बाद अजित के तेवर नर्म पड़े।
चाची प्रतिभा पवार से बात करते ही अजित ने मन बदला
सुप्रिया सुले ने शरद पवार की पत्नी और अपनी मां प्रतिभाताई पवार से भी अजित की बात कराई। अजित पवार अपनी चाची प्रतिभाताई को मां की तरह मानते हैं और उनकी बात नहीं टालते। सुप्रिया ने इस बात को ध्यान में रखकर ही अजित और प्रतिभाताई की बात कराई थी। अब जबकि पार्टी के नेताओं के साथ, परिवार के सभी सदस्य भी उनसे इस्तीफा देने की बात कह रहे थे, तो दबाव में उन्होंने राजनीति छोड़ने का फैसला कर लिया।
इस्तीफा देकर अपने भाई के घर गए अजित पवार
इस्तीफा देने के लिए अजित पवार सीधे मुख्यमंत्री निवास 'वर्षा बंगला' पहुंचे। उस समय सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया ही था और भाजपा कोर कमेटी की बैठक चल रही थी। अजित ने सीएम देवेंद्र को इस्तीफा सौंपा और अपने भाई श्रीनिवास पवार के घर चले गए। वहीं उन्होंने बेटे पार्थ पवार से बात की। चाचा शरद पवार के लिए अजित 1991 में भी इस्तीफा दे चुके हैं, जब वह बारामती से सांसद थे। इस उपचुनाव में जीतकर शरद पवार पीवी नरसिम्हाराव सरकार में रक्षा मंत्री बने थे।
2 बार उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वालेनेता
- 1991: बारामती से पहली बार सांसद बने, शरद पवार के लिए इस्तीफा दिया
- 26 सितंबर 2012: सिंचाई घोटाले का आरोप लगने पर उपमुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री पद से इस्तीफा दिया
- 27 सितंबर 2019: विधायक पद से इस्तीफा दिया
- 26 नवंबर 2019: शपथ लेने के चार दिन बाद ही उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफादिया
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