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पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी बोले- किसी सरकार से नाराजगी नहीं, बस घर तक बिजली पहुंच जाए

नई दिल्ली.दिल्ली में विधानसभा चुनाव है। स्थानीय मुद्दों के साथ सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून की भी चर्चा है। यहां पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों के झुग्गीनुमा 2 कैंप हैं। एक मजनू का टीला के पास और दूसरा सिग्नेचर ब्रिज के करीब। ज्यादातर झोपड़ियों पर तिरंगा नजर आता है। यहां रहने वालों को फिलहाल, मतदान का अधिकार नहीं लेकिन, वो दिल्ली चुनाव पर नजर रख रहे हैं। बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। पर्याप्त शौचालय नहीं हैं और बिजली-पानी की भी किल्लत है। दैनिक भास्कर टीम ने इन कैंपों का दौरा किया। लोगों से बातचीत की। एक शरणार्थी ने कहा- साहब, किसी सरकार से कोई गिला शिकवा नहीं। बस, हमारी झोपड़ियों तक बिजली और पानी पहुंच जाए। पेश है ये ग्राउंड रिपोर्ट।

रात में महिलाएं झोपड़ियों से बाहर नहीं निकल पाती थीं
मजनू का टीला के पास हिंदू शरणार्थियों की बस्ती या कहें कैंप। कुछ झुग्गियों पर तिरंगा लहरा रहा है और प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगी है। यहां सोनदास मिलते हैं। एक सवाल के जवाब में कहते हैं, “साहब, हालात क्या बताएं। पिछले साल गर्मियों में बस्ती के करीब 12 लोगों की मौत हुई। इनमें बच्चे और बुजुर्ग शामिल थे। 9 साल पहले भारत आए। कई साल तो कोई शौचालय नहीं था। दो साल पहले कुछ बनाए गए हैं। इनका इस्तेमाल महिलाएं करती हैं। वो पहले रात में डर के चलते बाहर नहीं निकल पातीं थीं।”

केजरीवाल के पास कई बार गए, लेकिन मदद नहीं मिली
धर्मदास 2011 में सिंध से हरिद्वार का वीजा लेकर भारत आए और अब वापस नहीं जाना चाहते। वे बताते हैं, “पाकिस्तान में बहुत प्रताड़ना झेली। मजहब बदलने का दबाव था। कोई रोजगार नहीं था। हरिद्वार के लिए वीजा बनवाया। फिर दिल्ली आ गए। मदद मांगने कई बार केजरीवाल के पास गए। लेकिन, कुछ हासिल नहीं हुआ। आम लोग कभी कपड़े तो कभी राशन दे जाते हैं।” ताराचंद और धरमवीर भी बातचीत में शामिल हुए। शर्ट पर मोदी का बैज लगाए तारचंद ने कहा, “हमारे कुछ लोगों ने सड़क किनारे चाय-पानी की दुकान लगा ली। लेकिन, ज्यादातर मजदूरी से पेट पालते हैं। मोदी जी हमारे लिए बहुत काम कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि वो ही जीतें।”

हम आतंकी नहीं, सताए गए हिंदू हैं
मजनू का टीला के बाद हम सिग्नेचर ब्रिज के करीब स्थित शरणार्थी शिविर पहुंचे। यह जंगल के बीच है। यहां जो झोपड़ियां हैं वो काफी स्वच्छ हैं। एक झुग्गी के बाहर बैठी महिला अपना नाम राखी चौहान बताती हैं। हमने पूछा- दिल्ली में चुनाव हैं, किसको जीतना चाहिए? राखी के जवाब में संजीदगी थी। उसने कहा, “साहब, हमें किसी सरकार से कोई गिला-शिकवा नहीं। हम कोई आतंकवादी नहीं बल्कि पराए मुल्क में सताए गए हिंदू हैं। हमारे पास पूरे कागज हैं जो खूब जांचे जाते हैं। लेकिन, सुविधाएं नहीं मिलतीं। बिजली-पानी नहीं मिलता। कुछ सोलर लाइटें जरूर मिली हैं।”

मोदी ने जिस बच्ची का जिक्र किया था, वो यहीं रहती है
प्रधानमंत्री ने संसद में नागरिकता कानून पर चर्चा के दौरान जिस बच्ची का जिक्र किया था, वो मजनू का टीला में रहती है। खास बात यह है कि जब दोनों सदनों ने नागरिकता कानून पारित कर दिया तो माता-पिता ने इस बच्ची का नाम ही नागरिकता रख दिया। उनके मुताबिक, कानून बनने की खुशी थी। बेटी सिर्फ दो दिन की थी। हमने उसे नागरिकता नाम दे दिया।



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Delhi Assembly (Vidhan Sabha) Election 2020 Ground Report News; Pakistani Hindu Refugees Express Concerns Over Electricity [From MAjnu ka Tila To Near Signature Bridge]


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