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पुलिस को पत्थरदिल समझने वालों, एक ट्वीट करके तो देखो

इस हफ्ते की शुरुआत में कई वीडियो वायरल हुए। इनमें हाल ही में आया 69 वर्षीय करन पुरी का एक वीडियो भी था। वे चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय में किताबों की दुकान चलाते हैं और पंचकूला के सेक्टर 7 में अकेले रहते हैं। वीडियो में वे घर पर अकेले टहल रहे हैं, क्योंकि उनके पास करने को कुछ नहीं है। अचानक वे देखते हैं कि पुलिस की गाड़ी बाहर रुकती है और उसमें से यूनिफॉर्म में कुछ महिलाएं ‘अंकल-अंकल’ आवाज देते हुए बाहर निकलती हैं।
एसएचओ इंस्पेक्टर नेहा और उनकी सहकर्मियों को देखकर करन यह सोचकर अंदर भागे कि वे उन्हें डांटेंगी। हालांकि, उन्होंने बताया कि वे बस मिलना चाहती हैं। फिर करण गेट की तरफ बढ़े और बोले, ‘हैलो, मैं सीनियर सिटीजन हूं और अकेला रहता हूं।’ जैसे ही वे गेट पर पहुंचे, तीनों महिलाएं और एक पुरुष पुलिसकर्मी एक साथ गाने लगे, ‘हैप्पी बर्थडे टू यू…।’ और करन की आंखों से आंसू बहने लगे। वे कई कदम पीछे जाते हुए पुलिसकर्मियों से अपने आंसू छिपाने की असफल कोशिश कर रहे थे।
पुलिसवालों ने एक बर्थडे कैप और एक बड़ा क्रीम केक निकाला फिर उनसे बोले, ‘हम भी आपके बच्चे हैं।’ करन लगातार रो रहे थे। उन्होंने गेट की दूसरी तरफ ही खड़े रहकर, टोपी पहनकर केट काटा और सभी पुलिसवालों ने हैप्पी बर्थडे गाना गाया। इस प्लान की शुरुआत 26 अप्रैल को करण के जन्मदिन से दो दिन पहले शुरू हुई थी, जब 25 वर्षीय विशाल निझावन ने पंचकूला पुलिस के ट्विटर हैंडल पर ट्वीट कर अकेले रह रहे करन के लिए सरप्राइज देने की योजना बनाने का निवेदन किया।
कॉलेज के दिनों के दौरान करन ने ही विशाल को सिविल सर्विस में कॅरिअर बनाने के लिए प्रेरित किया था और इस तरह वे दोनों करीब आ गए थे। जब विशाल को चंडीगढ़ में रहने के लिए जगह नहीं मिल रही थी, तब करन ने ही उसे दूसरा घर न मिलने तक अपने घर में पनाह दी थी। दरअसल करन ने पंजाब विश्वविद्यालय के प्रांगण में कई छात्रों को प्रेरित किया है। उनके दो बेटे दिल्ली और ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं। नेहा कहती हैं कि अगर एक केक और एक बार मिलने जाने से किसी का अकेलापन कम होता है, तो ऐसा प्रयास जरूर करना चाहिए।’
एक और घटनाक्रम में मुंबई के उपनगर गोरेगांव में रहने वाले 33 वर्षीय बिजनेस मैन शैलेष पांडे उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से अपने पिता का फोन आने के बाद चिंतित थे। उनके पिता को डायबिटीज है। पिता ने बताया कि कम सप्लाई के कारण उन्हें दवाएं नहीं मिल पा रहीं और उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का डर है। शैलेष ने कुरियर सेवा तलाशनी शुरू की ताकि वे प्रतापगढ़ से 84 किमी दूर घरैया गांव में अपने 70 वर्षीय पिता राजेंद्र पांडे तक दवाएं पहुंचा सकें। हालांकि, पूरा देश लॉकडाउन में होने के कारण शैलेष को उम्मीद नहीं थी कि वे बीमार पिता को दवाएं भेज पाएंगे। शैलेष के दोस्त और पड़ोसी डॉ. सचिन शिंदे ने इस बारे में मुंबई पुलिस को ट्वीट किया। मुंबई पुलिस ने जवाब दिया कि उन्होंने समस्या प्रतापगढ़ पुलिस के साथ साझा कर दी है। इस बीच डॉ. सचिन ने प्रतापगढ़ पुलिस का कॉन्टेक्ट नंबर ऑनलाइन ढूंढा और उस पुलिसवाले को दिया, जिसने मदद का आश्वासन दिया था।
फिर प्रतापगढ़ के पुलिसवालों ने स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी से बात करवाई, जिसने ऐसे मेडिकल स्टोर के बारे में बताया, जहां दवा उपलब्ध थी। सचिन ने मेडिकल स्टोर को फोन किया और दवा की पर्ची साझा कर ऑनलाइन पेमेंट कर दिया। प्रतापगढ़ के एसपी ऑफिस द्वारा बनाई गई एक पुलिस टीम ने दवाएं लीं और राजेंद्र पांडे के घर पर, गांव में डिलीवर कर दीं। यह सब 16 घंटे के अंदर हुआ।



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