![](https://i9.dainikbhaskar.com/thumbnails/680x588/web2images/www.bhaskar.com/2020/05/31/jp_1590887554.jpg)
म नुष्य के जाने-अनजाने भय, नैराश्य से जन्मी कुंठाओं के कारण वह भविष्य जानना चाहता है। मनुष्य विगत की यादों में विचरण करता है या भविष्य से भयभीत होते हुए वर्तमान समय को जी नहीं पाता। इसी भय ने एक व्यवसाय को पनपने का अवसर दिया है। यह सच है कि कुछ ज्ञानी-ध्यानी लोग समय को पढ़ लेते हैं, परंतु इस क्षेत्र में घुसपैठियों की संख्या बहुत अधिक है।
रेगिस्तान वाले क्षेत्र में प्रश्न पूछे जाने के समय प्रश्न कुंडली बनाई जाती है और समय को पढ़ा जाता था। रेत पर अंगुली से प्रश्न कुंडली बनाते हैं। एक बार प्रसिद्ध दार्शनिक गेब्रिल ने एक बालक की प्रश्न कुंडली बनाने की क्षमता की परीक्षा लेने के लिए बालक से पूछा कि गेब्रिल इस समय कहां होंगे।
बच्चे ने रेत पर प्रश्न कुंडली बनाई और कहा इस समय इस स्थान पर केवल दो व्यक्ति हैं- बालक स्वयं और दूसरा प्रश्न पूछने वाला। पूछने वाला ही प्रसिद्ध विद्वान गेब्रिल है।खाड़ी देशों में अधिकतम व्यक्तियों की जीवन शैली से ज्योतिष को केवल इसलिए खारिज किया गया कि क्षेत्र में बटमारों का प्रवेश होगा।
यह माना जाता है कि पंजाब के होशियारपुर में ऋषि भृगु महाराज की संहिता सहेजकर रखी गई है। इस संहिता में अनगिनत लोगों की कुंडलियां संग्रहित हैं और वहांजाकर अपने भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में पूछा जा सकता है।
यह बात तर्क के परे है कि किसी एक किताब में इतने अधिक लोगों की कुंडलियां दर्ज हैं। भृगु संहिताके विशेषज्ञों से मदद लेनी पड़ती है। व्यक्ति के नाम, जन्म स्थान और माता-पिता की जानकारी के आधार पर भृगु संहिता का उपयोग किया जाता है। यह काल्पनिक ‘दा विन्ची कोड’ से अधिक जटिल है।
फिल्म उद्योग में शुभ मुहूर्त पर शुभारंभ करते हैं और प्रदर्शन करते समय भी ज्योतिषी का परामर्श लिया जाता है। दक्षिण भारत के लोग राहुकाल में कोई काम नहीं करते। इस तरह के विश्वास के कारण मनुष्य को कुछ समय कुछ नहीं करने का अभ्यास हो जाता है। कार्य करते रहने की तरह ही कभी-कभी कुछ नहीं करना भी बहुत जरूरी है। पानी की सतह पर बिना हाथ-पैर चलाए अपने को सतह पर बनाए रखना श्रेष्ठ तैराकी मानी जाती है।
अधिकांश फिल्मकार ज्योतिष से शुभ मुहूर्त जानकर ही फिल्म प्रारंभ करते हैं, परंतु मात्र 10% प्रतिशत फिल्में ही सफल होती हैं। इस तरह कुंडलियां मिलाकर शुभ मुहूर्त में विवाह संपन्न किए जाते हैं। दांपत्य सुख-शांति कम लोगों को ही नसीब होती है। विगत सदी के कुछ दशकों में चरित्र भूमिकाएं अभिनीत करने वाले कलाकार जगदीश सेठी ज्योतिष में निपुण माने जाते हैं। उन्होंने ही केएल सहगल को आगाह किया था कि उनके लिए बुरा समय आ गया है।
राज कपूर की ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण में लंबा समय और बहुत डर लग रहा था। कृष्णा कपूर ने पारिवारिक मित्र जगदीश सेठी को कुंडली दिखाई। जगदीश सेठी ने कहा कि जोकर नामक गुब्बारे में राज कपूर कितनी भी हवा फूंकें, यह गुब्बाराफटने वाला है।
यह सुनकर कृष्णा कपूर रोने लगीं तो जगदीश सेठी ने कहा कि यह फिल्म प्रदर्शन के बाद राज कपूर की सर्वकालिक अधिक कमाई वाली फिल्म साबित होगी। जगदीश सेठी फिल्म की कुंडली में लिखी एक इबारत नहीं पढ़ पाए कि ‘मेरा नाम जोकर’ के प्रथम प्रदर्शन के 16 वर्ष पश्चात इसका पुनः संपादित संस्करण उन्हें सबसे अधिक कमाई देगा। समय के खेल को कौन पढ़ पाया है?
चिठिया हो तो हर कोई बांचे, भाग न बांचे कोय...हर अखबार, पत्रिका में साप्ताहिक भविष्य तथा दैनिक भविष्य का प्रकाशन किया जाता है। तर्कसम्मत सोच वाले भी इसे पढ़ते हैं, भले ही मनोरंजन के लिए पढ़ते हों।
राजनेता भी चुनाव का फॉर्म भरने का समय अपने ज्योतिषी से पूछते हैं। जिनकी जमानतें जब्त होती हैं, उन्होंने भी ज्योतिषी से परामर्श किया था। सही स्थान और सही समय पर सही लोगों से मुलाकात सौभाग्य मानी जाती है। चेतन आनंद की फिल्म ‘कुदरत’ के लिए क़तील शिफ़ाई का लिखा गीत इस प्रकार है-
‘खुद को छुपाने वालों का,
पल पल पीछा ये करे,
जहां भी हो मिटे निशां,
वहीं जाके पांव ये धरे,
फिर दिल का हरेक घाव,
अश्क़ों से ये धोती है,
दुख सुख की हर एक माला,
कुदरत ही पिरोती है,
हाथों की लकीरों में,
ये जागती सोती है।’
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3dkjdXN
Comments
Post a Comment