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Showing posts from July, 2020

Friendship Day 2020: दोस्ती के दिन दोस्तों को Images, Greetings, WhatsApp Status, Quotes से इस अंदाज में करें विश

Friendship Day 2020: इस खास मौके पर यारों इन Wishes, Shayari, WhatsApp Status, Quotes से अपने अंदाज में करें विश। from Nai Dunia Hindi News - technology : tech https://ift.tt/3jZPTt8

जीवन का यही फंडा है- अगर आप अपने पेशे के प्रति ईमानदार हैं तो आपको ‘गुरुदक्षिणा’ जरूरी मिलेगी

स्व र्गीय प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने उन्हें 15वीं सदी के महान गुजराती कवि नरसी मेहता का गीत ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए’ गाते हुए सुना तो बोले, ‘आप संगीत की मल्लिका हैं, आपके सामने मैं एक मामूली प्रधानमंत्री हूं।’ जब किसी की तारीफ खुद प्रधानमंत्री करें, तो क्या आप सोच सकते हैं कि उस व्यक्ति को कभी आर्थिक संकट झेलना पड़ेगा? लेकिन उन्होंने यह संकट झेला। यही कारण था कि 1979 में तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के कार्यकारी अधिकारी पीवीआरके प्रसाद को दो अरजेंट टेलीग्राम मैसेज मिले। एक कांची कामकोटि पीठम् के परमाचार्य श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती का और दूसरा पुट्‌टपर्थी के भगवान श्री सत्य साई बाबा का, जिनमें लिखा था, ‘प्रिय श्री प्रसाद, नेक दंपति, हमारी संगीत की मल्लिका एमएस सुब्बुलक्ष्मी और उनके पति सदाशिवम गंभीर आर्थिक संकट में हैं और उन्हें तुरंत मदद की जरूरत है। कृपया जल्द से जल्द इस संकट से निकलने में उनकी मदद करने के लिए तुरंत कोई योजना बनाएं...’ एमएस (उन्हें इस नाम से जाना जाता था) ने अपने सभी म्यूजिक एलबम के अधिकार चैरिटी में दे दिए थे। प्रसाद जब दंपति से मिलने पहुंचे तो वे उन एमए...

प्रतिभा का अंक गणित, बीज गणित और रेखा गणित, इसी ने शकुंतला देवी को ताउम्र असाधारण बनाए रखा

प्राय:आम आदमी विवाद से बचने के लिए साधारण बने रहना चाहते हैं या कम से कम साधारण होने का स्वांग करते हैं। प्रतिभाशाली शकुंतला देवी ताउम्र असाधारण बनी रहीं और इसे उन्होंने खूब प्रचारित भी किया। संभवत: शकुंतला देवी जीवन के शोर भरे सन्नाटे को समझती थीं व खूब आनंद लेती थीं। वे प्राय: यह दिखाती रहीं, मानों वे लोकप्रियता से भागने का जतन कर रही हैं। वह यह प्रस्तुत करने में भी सफल रहीं कि लोकप्रियता से भागने के जितने प्रयास करती हैं, उतनी अधिक लोकप्रिय होती रहीं। शकुंतला देवी को मनुष्य कंप्यूटर कहा गया। वह पलक झपकने से कम समय में अंक गणित के जटिल प्रश्न का उत्तर बता देती हैं। अत: उन्हें अमेरिका, इंग्लैंड व यूरोप के देशों में निमंत्रित किया गया। प्रदर्शन में कंप्यूटर ने गलती कर दी, शकुंतला ने सही जवाब दिया एक प्रदर्शन में उनका दिया गया उत्तर कंप्यूटर के उत्तर से अलग था। शकुंतला देवी ने कहा कंप्यूटर से गलती हुई है। गहरी छानबीन के बाद शकुंतला देवी सही थीं, मनुष्य कंप्यूटर बनाता है व कंप्यूटर द्वारा बनाए रोबो भी गफलत कर जाते हैं। फिल्मकार अन्नू मेनन ने अपनी फिल्म ‘शकुंतला देवी’ में मां, बेटी और...

कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही दो विकल्पों में बंटा लगता है, साफ पता चल रहा कि सबकुछ ठीक नहीं

हाल ही में राजस्थान और कुछ अन्य राज्यों में कांग्रेस पार्टी में हुईं तकरार बताती हैं कि पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है। ऐसे में यह सोचने की जरूरत है कि इस बहुत पुरानी पार्टी को क्या संकट की ओर धकेल रहा है। क्या ऐसा सिर्फ इसलिए है कि पार्टी हाल ही में कई चुनाव हारी है या इसका कारण पार्टी में अपेक्षाकृत कमजोर वैचारिक संबंध हैं या इसके पीछे कमजोर मौजूदा केंद्रीय नेतृत्व है? क्या हाल ही में उसके नेताओं का दल बदलना सिर्फ उनकी महत्वाकांक्षा और अधीरता की निशानी है या पार्टी में नेताओं के बीच मजबूत पीढ़ीगत विभाजन है? लोकतांत्रिक देश में कोई पार्टी हमेशा सत्ता में नहीं रह सकती एक लोकतांत्रिक देश में कोई पार्टी हमेशा सत्ता में नहीं रह सकती है, इसलिए पार्टियों की जीत-हार आम है। भाजपा भी 2004 और 2009 में लगातार दो चुनाव हारी थी लेकिन 2014 में फिर सत्ता में आई। लेकिन उसे कांग्रेस जैसे संकट का सामना नहीं करना पड़ा। इसलिए केवल दो लोकसभा चुनाव हारना कांग्रेस के मौजूदा संकट का कारण नहीं हो सकता। कांग्रेस की विचारधारा (आधिकारिक) में शायद ही कोई बदलाव आया है। इसलिए इसे पार्टी में संकट का कारण नहीं मान सक...

कांग्रेस नेतृत्व का मुद्दा अर्थहीन नाटक बनता जा रहा, राहुल की हार ने ही कांग्रेस के अवसर खत्म कर दिए थे

कांग्रेस नेतृत्व का मुद्दा एक अर्थहीन नाटक बनता जा रहा है। अंतरिम एआईसीसी प्रमुख सोनिया गांधी उस पद को छोड़ने बेताब हैं, जिसपर वे 21 साल से हैं। 17 महीने कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके उनके बेटे पहले चाहते थे कि कोई गैर-गांधी यह पद संभाले, पर अब इस शर्त पर वापसी चाहते हैं कि मुख्य नियुक्तियां उनकी पसंद से हों। राहुल गांधी पार्टी की सत्ता संरचना व पदक्रम बदलने को उत्सुक हैं। हालांकि वे इस तथ्य से अनजान रहना चाहते हैं कि सार्वजनिक जीवन या राजनीति में अधिकार सफलता के साथ आता है। पार्टी में विद्रोह के संकेत नदारद हैं विसंगति सिर्फ गांधियों तक सीमित नहीं है। 2014 और 2019 के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भी पार्टी में विद्रोह के संकेत लगभग नदारद हैं। संदीप दीक्षित, शर्मिष्ठा मुखर्जी, शशि थरूर, मिलिंद देवड़ा, जयराम रमेश और कपिल सिब्बल जैसे आदतन मतविरोधियों ने भी पार्टी की स्थिति पर चर्चा को लेकर कोई कदम नहीं उठाया। हर कोई पार्टी में नंबर दो की भूमिका की उम्मीद में लगता है। युवाओं से उम्मीद थी। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट जैसे वंशजों ने हरा मैदान तलाशने का आसान विकल्प चुना। अब लगता है कि...

यहां चार छावनियां थीं, अब तीन बची हैं, बड़ी छावनी, छोटी हो गई और छोटी छावनी बड़ी हो गई, इन छावनियों में रहते हैं साधु-संत

पिछले कई सालों में अनेक बार अयोध्या पुलिस छावनी बनी है। पांच अगस्त को भूमि पूजन का कार्यक्रम है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दिन अयोध्या आएंगे। इस लिहाज से एक बार फिर अयोध्या की किलेबंदी शुरू हो गई है। बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं। हर मुख्य सड़क पर पुलिस की बैरिकेडिंग है। मतलब, एक बार फिर अयोध्या छावनी में तब्दील हो जाएगी। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि अयोध्या में कई छावनियां सालों से हैं और वहां साधु-संत रहते आ रहे हैं। इन छावनियों का इतिहास भारत में मुगल काल के कमजोर होने के साथ शुरू होता है। हालांकि, इनका कोई लिखित इतिहास उपलब्ध नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि वैरागी साधुओं ने धर्म की रक्षा के लिए अयोध्या में एक साथ गुट बनाकर रहना शुरू किया और इनके एक साथ रहने की वजह से अंग्रेजों के समय उनके रहने की जगह को छावनी कहा जाने लगा। कुछ समय पहले तक अयोध्या में चार प्रमुख छावनियां थीं- तुलसी दास जी की छावनी, बड़ी छावनी, तपसी जी की छावनी और छोटी छावनी। तुलसी दास जी की छावनी खत्म हो गई। खत्म होने की कोई साफ-साफ वजह तो कोई नहीं बताता लेकिन अयोध्या के रहने वाले मानते हैं कि...

सतेंद्र दास कहते हैं, जब बाबरी विध्वंस हुआ तो मैं वहीं था, सुबह 11 बज रहे थे, हम रामलला को उठाकर अलग चले गए, ताकि वो सुरक्षित रहें

राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी हैं सत्येंद्र दास। कहते हैं "सबसे बड़ी बात है कि राममंदिर बन रहा है। 28 साल से मैं पुजारी के रूप में रामलला की सेवा कर रहा हूं। मन मे एक टीस थी कि रामलला टेंट में हैं, लेकिन ठाकुर जी की कृपा से सब सही हो गया। अब हमारे आराध्य श्री राम टाट से निकल कर ठाट में आ गए हैं। चूंकि, अब ट्रस्ट बन गया है मंदिर बनने के बाद मैं आगे पुजारी रहूंगा या नहीं, यह नहीं कह सकता हूं। क्योंकि बीच मे मेरे रिश्ते विहिप से खराब हो गए थे। साल 2000 में अशोक सिंघल समेत कई बड़े विहिप के नेता जबरदस्ती जन्मस्थान में घुस आए थे। उनके पीछे मीडिया भी थी। तत्कालीन डीएम भगवती प्रसाद मामले को रफा-दफा करना चाह रहे थे। लेकिन, मीडिया में खबर चलने के बाद यह संभव नही हो सका। बाद में पत्रकारों ने हमसे भी पूछा तो हमने भी नाम बता दिया। इसके बाद विहिप वाले हमसे नाराज हो गए। हालांकि, हमने संबंध बनाए रखा, लेकिन सही बात यह है कि अब वो बात नहीं है। 80 साल उम्र हो चुकी है। रामलला की सेवा में 28 साल बिता दिए हैं। अगर मौका मिलेगा तो बाकी जिंदगी भी उन्हीं की सेवा में बिताना चाहता हूं।’ अभी तक हम सभी उन्हे...

बच्चों के पास मोबाइल नहीं थे तो शुरू किया ओपन एयर कम्युनिटी स्कूल, अकेले बडगाम जिले में 8 हजार बच्चे पढ़ रहे हैं

कोरोना के चलते देश भर में पिछले चार महीनों से स्कूल बंद हैं। देश में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है, यही वजह है कि अनलॉक-3 में भी स्कूलों को खोलने की इजाजत नहीं दी गई है। इन सबके बीच कश्मीर की वादियों में बच्चे अब स्कूल के बंद कमरों की बजाय नीले आसमान के नीचे पहाड़ों के बीच ओपन पढ़ाई कर रहे हैं। तस्लीमा बशीर अब ओपन एयर कम्युनिटी स्कूल में पढ़ाई कर रही हैं। फोटो: आबिद बट कश्मीर के बडगाम जिले के पहाड़ी क्षेत्र में रहने वालीं तस्लीमा बशीर आठवीं क्लास में पढ़ती हैं। तस्लीमा को पढ़ाई करना पसंद है। स्कूल ने वर्चुअल क्लासेज के जरिए पढ़ाई भी कराई, लेकिन ना तो तस्लीमा के घर में मोबाइल है और न ही उनके घर तक मोबाइल नेटवर्क की पहुंच है। ऐसे में तस्लीमा खुद ही घर पर बैठकर जो मन आया वो पढ़ लेती थीं। इसके बाद जब 1 जून से ओपन एयर कम्युनिटी स्कूल की शुरूआत हुई तो यहां आने के बाद तस्लीमा के चेहरे पर एक अलग ही रौनक नजर आई। बडगाम जिले के दूधपथरी की वादियों में तस्लीमा की तरह कई बच्चे ओपन एयर स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। तस्लीमा कहती हैं कि इस तरह खुली वादियों के बीच पढ़ना ज्यादा अच्छा लगता है। मैं घर ...

कभी बड़े भाई से आगे था छोटा भाई; लेकिन 15 साल में मुकेश की नेटवर्थ 9 गुना बढ़ी, अनिल की जीरो हुई

13 मार्च 2006। ये वो दिन था जब अनिल अंबानी की टेलीकॉम कंपनी में बड़ा मर्जर हुआ था। इस दिन बोर्ड मीटिंग में तय हुआ कि रिलायंस इन्फोकॉम का रिलायंस कम्युनिकेशन वेंचर लिमिटेड में मर्जर होगा। इससे रिलायंस कम्युनिकेशन वेंचर लिमिटेड के शेयर प्राइस 67% बढ़ गए। इसका नतीजा ये हुआ कि इस दिन अनिल अंबानी की नेटवर्थ 45 हजार करोड़ रुपए हो गई थी। जबकि, उस दिन बड़े भाई मुकेश की नेटवर्थ 37 हजार 825 करोड़ रुपए थी। ये वो समय था जब नेटवर्थ के मामले में छोटा भाई, बड़े भाई से ऊपर आ गया था। जबकि, एक हफ्ते पहले ही फोर्ब्स की लिस्ट आई थी, जिसमें मुकेश अंबानी, अनिल से आगे थे। फोर्ब्स की लिस्ट के मुताबिक, मार्च 2006 में मुकेश की नेटवर्थ 8.5 अरब डॉलर और अनिल की नेटवर्थ 5.7 अरब डॉलर थी। दोनों भाइयों की बात इसलिए, क्योंकि आजकल चर्चा में दोनों ही भाई हैं। कुछ दिन पहले ही फ्रांस से राफेल फाइटर जेट आए हैं। इसे फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन ने तैयार किए हैं। राफेल डील में अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस ऑफसेट पार्टनर है। और बड़े भाई मुकेश दुनिया के 5वें सबसे अमीर शख्स बन गए हैं। जब दोनों भाई अलग हुए, तब दोनों की नेटवर्थ 7 अ...

रिश्तों से जीवन में खुशियां और आनंद करने के लिए परमात्मा से सही ढंग से रिश्ता जोड़ा तो फिर दुनिया से हमारे रिश्ते अच्छे होंग

रिश्तों का बना रहना नसीब और टूट जाना बड़ी बदनसीबी है। परिवार को यदि एक देह मान लें, तो रिश्ते उसके आभूषण हैं। देश में अनेक त्योहार जीवन की विविध गतिविधियां से जुड़े हैं, लेकिन जब रिश्तों की बात हो, तो राखी ही याद आएगी। यह एक ऐसा त्योहार है, जो मनुष्य को समझाता है कि रिश्तों को देह से ऊपर ले जाकर आत्मा से जोड़ें। सचमुच बहुत पवित्रता है, इस त्योहार में। हनुमानजी रिश्तों का निर्वहन करने वाले देवता माने गए हैं। रिश्ते कैसे बनाए, निभाए और बचाए जाते हैं, यह हनुमानजी से सीखें। यदि परमात्मा से सही ढंग से रिश्ता जोड़ा तो फिर दुनिया से हमारे रिश्ते अच्छे होंगे। इस वक्त हम मनुष्यों के साथ जीवन, जीविका, जगत व जगदीश, ये चार बातें एक साथ चल रही हैं व इसी में रिश्ते निभाना सीखना है। वातावरण में रिश्ते कैसे पॉजिटिविटी पैदा कर सकते हैं, इसके लिए हनुमान चालीसा मंत्र के रूप में बड़ी उपयोगी है। हनुमान चालीसा के सवा करोड़ महापाठ का कार्यक्रम रक्षा बंधन की पूर्व संध्या पर इंदौर से होता है। इस बार भी भाव प्रवाह से होगा, जिसका सीधा प्रसारण संस्कार टीवी पर 2 अगस्त की रात 8 बजे से होगा। कार्यक्रम से जुड़ें क्...

शकुंतला देवीः एक गणितज्ञ या एस्ट्रोलॉजर जिसने कंप्यूटर को हराया; 2013 में ही कर दी थी मोदी के प्रधानमंत्री बनने की घोषणा

अमेज़न प्राइम वीडियोज पर शुक्रवार को शकुंतला देवी (4 नवंबर 1929 – 21 अप्रैल 2013) पर बनी बायोपिक रिलीज हुई। "ह्यूमन कंप्यूटर' के नाम से पहचानी जाने वाली गणितज्ञ शकुंतला देवी ने बड़े-बड़े गणित चंद सेकंड्स में हल किए। उन पर तमाम शोध हुए। उनकी दिमागी क्षमताओं को टटोला गया। लेकिन कहते हैं न, हर गणित का हल नंबरों में ही होता है। दुनिया के लिए शकुंतला एक जीनियस थी। एक ऐसी गणितज्ञ जो 13 अंकों वाले दो नंबरों को गुणा करने पर हल महज 28 सेकंड्स में बता देती थी। लेकिन वह कभी स्कूल नहीं गईं। बाद में एस्ट्रोलॉजर भी बनीं। पहेलियों, रैसिपी और मर्डर मिस्ट्री पर किताब भी लिखी। इतना ही नहीं 1977 में, यानी भारत में पहली होमोसेक्सुअलिटी किताब भी लिखीं। सवाल तो कई हैं देवी के बारे में। हां, विदेशों में उन्हें देवी कहकर ही संबोधित किया जाता था। जो कभी स्कूल नहीं गया, वह इतने बड़े-बड़े गणित आखिर कैसे हल कर सकता है? वह भी परफेक्ट घन (क्यूब) और घनमूल (क्यूब रूट) कैसे निकाल लेती थी? आइये जानते हैं पहले 'ह्यूमन कंप्यूटर' की गणितीय प्रतिभा को बात 1930 के दशक की है, जब शकुंतला देवी की प्रतिभ...

तेज बुखार आया, मुंह से खून आने लगा, अकेले इलाज करवाते रहे लेकिन घरवालों को नहीं बताया

आज हम दिल्ली एम्स के दो डॉक्टरों की कहानी बताने जा रहे हैं। दोनों कोरोना मरीजों का इलाज करते-करते खुद कोरोना से संक्रमित हुए। ठीक होने के बाद एक तो वापस कोरोना वॉर्ड में भी लौट आए, मरीजों का फिर इलाज करने। पहली कहानी - डॉक्टर सुनील ज्याणी की, जो संक्रमित हुए, आईसीयू में इलाज चला, 10 किलो वजन कम हो गया, अब ड्यूटी पर लौटे मैं 24 मार्च से ही कोरोना पेशेंट का ट्रीटमेंट कर रहा था। सात-सात दिन के रोटेशन में हमारी ड्यूटी हुआ करती थी। 29 मई को मुझे अचानक बुखार आ गया। कपकपी लगने लगी। कमजोरी बहुत ज्यादा आ गई। मैंने अनुमान लगा लिया था कि मैं कोरोना पॉजिटिव हो गया हूं। उस दिन मैंने 15 मिनट पहले ही अपनी ड्यूटी खत्म कर दी और तुरंत अपने रूम में चला गया। उसी दिन रात में मुझे बहुत तेज ठंड लगी। घर राजस्थान में है। दिल्ली में एम्स के हॉस्टल में अकेला ही रहता हूं, इसलिए कोई देखने वाला नहीं था। सुबह होते ही मैंने डिपार्टमेंट में बताया कि ऐसे लक्षण हैं। उस दिन मेरा ब्लड लिया गया और दूसरे दिन रिपोर्ट निगेटिव आई। लेकिन, उस समय प्रोटोकॉल था कि यदि बुखार आया है तो 7 दिनों तक क्वारैंटाइन ही रहना है। इसलिए मै...

किसी को शिकायत विहिप ने पलटकर नहीं पूछा, किसी का बेटा कारसेवकपुरम में नौकरी करता है

30 अक्टूबर 1990..."रामलला हम आएंगे, मंदिर यहीं बनाएंगे" के नारों से अयोध्या गूंज रही थी। सड़क पर या तो भगवा पहने कारसेवक थे या संगीनों के साथ खाकी वर्दी पहने पुलिस वाले। बाबरी मस्जिद के डेढ़ किमी के दायरे को पुलिस ने बैरिकेट कर रखा था। कहीं से भी कोई आवाजाही नहीं थी। घर की छतों पर पुलिस तैनात थी। लेकिन, कारसेवक रामलला तक पहुंचने के लिए अड़े हुए थे। हजारों की संख्या में जब कारसेवक हनुमान गढ़ी के आगे गलियों से होते हुए राम जन्मभूमि की ओर बढ़े तो सुरक्षाकर्मियों ने गोली चला दी। ये गोली तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आदेश पर चलाई गई थी। गोली की वजह से अयोध्या के रहने वाले 5 कारसेवकों की मौत हो गयी। यह सभी गरीब परिवारों से थे। कोई टोकरी बनाता था तो कोई रिक्शा चलाता था। अब 2020 में अयोध्या में मारे गए उन 5 कारसेवकों में से 3 के परिवार रहते है। उनसे मिलकर हमने उनका हाल जाना। पहली कहानी: घर गिरवी रखा है, बच्चों की फीस भरने का भी पैसा नही है अयोध्या के कजियाना मोहल्ले में राजेन्द्र धनकार का घर है। घर के सामने थोड़ी सी जमीन है, जिसमें बड़ा सा पेड़ है। और पीछे घर है। घर की चौड़ाई ...