![](https://i9.dainikbhaskar.com/thumbnails/680x588/web2images/www.bhaskar.com/2020/10/01/whoissunilalagh2019-07-220_1601501506.jpg)
कोरोना ने हमें सिखाया है कि अब पांच साल के प्लान न बनाए जाएं। जिन्होंने भी ऐसा पिछले साल किया था, वे अब सब नए सिरे से कर रहे हैं। वास्तव में गिलास आधा खाली और आधा भरा की पुरानी कहानी अब मान्य नहीं रही। मेरे हिसाब से अब हाथ में गिलास होना ही काफी है। आपको उसे अब अपने तरीके से फिर भरना होगा। इसके लिए सरकार और नागरिकों को मेरे कुछ सुझाव हैं...
1. संवाद सबसे जरूरी है: भले ही इसका मतलब एक ही बात को बार-बार दोहराना क्यों न हो। हमें वह जापानी मॉडल अपनाना चाहिए, जिसके मुताबिक हम जो चाहते हैं, वह जब तक अनुसरण करने वाले की आदत न बन जाए, उसे दोहराते रहो। कभी कोई मिश्रित संदेश नहीं होना चाहिए। इसका ताजा उदाहरण कृषि विधेयक हैं। किसान भ्रमित हैं कि ये उनके हित में हैं या खिलाफ। बिचौलियों को हटाकर किसानों को फसल सबसे अच्छी कीमत पर कहीं भी बेचने की आजादी का फैसला सराहनीय है। साथ ही मंडियों की मौजूदा व्यवस्था के साथ किसानों को सुनिश्चित कीमतों पर निजी व्यापार करने का समानांतर विकल्प भी अच्छा है। लेकिन सही संवाद न होने के कारण बहुत से भ्रम पैदा हो रहे हैं। इसपर भी ध्यान देना चाहिए कि बेहतर उत्पादकता के जरिए भारत वैश्विक फूड सप्लाई चेन में महत्वपूर्ण कड़ी बन सकता है। सरकार को पेशेवरों द्वारा संचालित एक कम्यूनिकेशन (संवाद) सेल बनानी चाहिए। आखिर प्रधानमंत्री, खुद कितना कुछ करेंगे?
2. उपभोक्ता की मांग बढ़ाने के कदम उठाएं: आपूर्ति (सप्लाई) और मांग में संतुलन जरूरी है। बड़े और एसएमई उद्योग, दोनों ही तब तक निवेश नहीं करेंगे और लोन नहीं लेंगे, जब तक उनके उत्पादों की मांग नहीं होगी। मैं उन अर्थशास्त्रियों से असहमत हूं जो कहते हैं कि अगर सप्लाई पर ध्यान दिया जाए तो मांग अपने आप बढ़ेगी। यह शायद आने वाले कुछ महीनों में उपभोक्ताओं की दबी हुई जरूरतों और त्योहार के मौसम के कारण बढ़ेगी। लेकिन यह क्षणिक होगी और इसे बनाए रखना समस्या होगी। करीब 30 करोड़ मिडिल क्लास लोग उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और अब उन्हें प्रोत्साहन पैकेज देकर खर्च केे लिए उकसाने का समय है। कार, हाउसिंग, ट्रैवल आदि पर टैक्स में कटौती और फायदे देने चाहिए। साथ ही नौकरियां पैदा करने के लिए इंफ्रा पर खर्च बढ़ाना चाहिए। इससे वित्तीय घाटा बढ़ेगा लेकिन आने वाले वर्षों में अर्थव्यवस्था उठने पर ये उपाय वापस ले सकते हैं।
3. पर्यावरण का ख्याल जरूरी: पेड़ काटना और उन्हें दोबारा लगाना काफी नहीं है। उन्हें काटने का असर तुरंत होता है, वहीं दोबारा लगाने पर 10-15 वर्ष बाद फल मिलता है। पानी, जंगल आदि का संरक्षण भी जरूरी है।
अमीर व गरीब नागरिकों के लिए मेरे सुझाव हैं:
अ) हमें फिजूल आलोचना बंद करनी होगी। अगर हम रचनात्मक आलोचना करें, तो हम न सिर्फ समस्या को उठाएं, बल्कि उसका समाधान भी दें।
ब) नागरिक भावना आगे लानी होगी। मास्क पहनने जैसे नियम मानने होंगे। जैसे गोवा में नागरिक मास्क पहन रहे हैं, परिणामों को लेकर सजग हैं।
स) हमें केंद्र व राज्य सरकारों का समर्थन करना चाहिए और चीन व पाकिस्तान जैसे मुद्दों पर कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होना चाहिए। मैं अभिव्यक्ति की आजादी का बड़ा समर्थक हूं लेकिन जिम्मेदारी दिखाना भी जरूरी है।
जैसा कि गीता में कहा गया है, ‘हमें जो चाहिए है, उसके लिए अगर एक होकर नहीं लड़ेंगे, तो हमने जो खोया है, उसके लिए नहीं रो सकते।’ (ये लेखक के अपने विचार हैं)
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3n6kN4U
Comments
Post a Comment