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ईश्वर हमेशा अमृत ही देता है, मनुष्य की विचार शैली उसे जहरीला बना देती है

‘द बंग’ और ‘अकीरा’ जैसी फिल्मों में अभिनय करने वाली सोनाक्षी सिन्हा ने मालद्वीप जाकर स्कूबा डाइविंग का कड़ा अभ्यास किया और योग्यता का प्रमाण पत्र भी प्राप्त किया। समुद्र तल तक जा सकने वाले एक्सपर्ट्स की पीठ पर ऑक्सीजन सिलेंडर बंधे होते हैं। ऑक्सीजन मीटर देखकर समय रहते ही स्कूबा डाइवर सतह पर आ जाता है। फिल्म ‘जिंदगी ना मिलेगी दोबारा’ में भी स्कूबा डाइविंग का सीन था।

जेम्स बॉन्ड की फिल्म में भी नायक स्कूबा डाइवर है और खलनायक के आदमियों को मारता है। खबर है कि कोरल रीफ का ठेका दिया गया है। विगत वर्षों में यह औद्योगिक घराना पुराने धनाढ्य घराने से आगे निकल गया है। यह पुराना कुचक्र है कि धनवान, नेता को चुनाव लड़ने के लिए धन देता है और नेता मंत्री पद पाकर उसे अधिक धन बनाने का लाइसेंस देता है। भ्रष्टाचार भांति-भांति के मुखौटे धारण किए होता है।

ज्ञातव्य है कि आशुतोष गोवारीकर की ऋतिक रोशन और ऐश्वर्या रॉय अभिनीत फिल्म ‘जोधा अकबर’ में अकबर की मां की भूमिका श्रीमती शत्रुघ्न सिन्हा ने निभाई थी। यही पात्र जोधा के खिलाफ षड्यंत्र रचने वालों को उजागर करके दंड दिलवाता है। बहरहाल सोनाक्षी को अपना वजन कम करने की सलाह सलमान खान ने दी और उन्हीं के जिम में उसने प्रशिक्षण लेकर ‘दबंग’ में काम का अवसर पाया। शत्रुघ्न सिन्हा भी सपाट बयानी करते हैं और अपने सच कहने की आदत से वे दल में होकर भी हाशिए पर ढकेल दिए गए हैं।

अटल बिहारी बाजपेयी के मंत्रिमंडल में शत्रुघ्न सिन्हा शामिल थे। दरअसल नीतिश के शासन के एक अधिकारी शत्रुघ्न सिन्हा थे। अब वे प्राय: खामोश ही रहते हैं। सोनाक्षी का शब्दार्थ सोने जैसी आंख वाली हो सकता है जैसे मीनाक्षी का अर्थ मछली जैसी आंख वाली होता है। समुद्र के तल पर एक मनोहारी संसार बसा है। वहां भाती-भाती के उजले पत्थर हैं। विभिन्न रंगों की मछलियां होती हैं। मनुष्य ने धरती से उसका सौंदर्य छीन लिया परंतु समुद्र के तल में आज भी सौंदर्य कायम है।

वर्तमान में नासिक में आलाप नामक विलक्षण व्यक्ति बिना दवा दिए और टोटका किए हड्डियों और मांसपेशियों के रोगियों का इलाज एक्सरसाइज द्वारा करने का प्रशिक्षण देते हैं। देश के कोने-कोने से बीमार वहां आते हैं और चंगे होकर जाते हैं। खाकसार के कमर दर्द का इलाज उन्होंने पैर की उंगलियों और पिंडलियों की एक्सरसाइज से ठीक किया।

बहरहाल सोनाक्षी सिन्हा अभिनीत ‘अकीरा’ में शिक्षा संस्थान के मुखिया की बेटी रात में होटल रूम से चोरी करती है। मुखिया अपनी बेटी को बचाने के लिए चोरी का सामान सोनाक्षी अभिनीत पात्र के दरवाज़े पर रख देता है वह दंडित की जाती है। एक भ्रष्ट पुलिस अफसर उसे मारने का षड्यंत्र रचता है। इंस्पेक्टर के गुनाह ‘अकीरा’ ने अपनी आंखों से देखे हैं। क्लाइमैक्स में पुलिस की आला अफसर गुनहगारों को गिरफ्तार करने आती हैं परंतु मंत्री जी उसे रोकते हैं।

अगले दिन के चुनाव में इंस्पेक्टर उनकी मदद करने वाला है। कोंकणा सेन शर्मा अभिनीत आला अफसर मजबूर होकर चली जाती है। निहत्थे ही ‘अकीरा’ गुनहगारों को पीटती है। अगर फिल्मकार कुछ अनावश्यक चीजें फिल्म से हटाकर अतिरेक नहीं करता तो फिल्म सफल भी होती। स्कूबा डाइविंग पर फिल्म बनाई जा सकती है परंतु इसके लिए बड़ी पूंजी की आवश्यकता है। समुद्र तल में रचे स्वर्ग के दर्शन के लिए पूंजी की आवश्यकता है। कोरल का ठेका प्राप्त घराना यह काम भी कर सकता है परंतु समुद्र के भीतर कोई नारेबाजी नहीं हो सकती।

शैलेंद्र के गैर फिल्मी गीत की पंक्तियां हैं, ‘आदमी की जीत पर यकीं कर, अगर है कहीं स्वर्ग तो उतार ला जमीं पर।’ शैलेंद्र कैसे जानते कि स्वर्ग समुद्र के तल पर स्थित है, यह संभव है कि समुद्र मंथन में केवल अमृत निकला हो परंतु अपराध प्रवृत्ति के किसी नेता के हाथ के स्पर्श मात्र से कुछ हिस्सा जहरीला हो गया। ईश्वर हमेशा अमृत ही देता है। मनुष्य की विचार शैली उसे जहरीला बना देती है।



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जयप्रकाश चौकसे, फिल्म समीक्षक


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