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पर्यावरण, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में साथ काम कर सकते हैं भारत-अमेरिका

दुनियाभर के भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि है कि अमेरिका में दूसरे सबसे बड़े पद के लिए निर्वाचित कमला हैरिस का संबंध तमिलनाडु से है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति, जो बाइडेन ने अपने पूरे कॅरिअर के दौरान भारतीय-अमेरिकी संबंधों का समर्थन किया है। वर्ष 2006 में उन्होंने कहा था, ‘मेरा सपना है कि 2020 में भारत और अमेरिका दुनिया के दो सबसे करीबी देश होंगे।’ जनवरी में पदभार संभालने के बाद, उनके पास अपने इस सपने को साकार करने का बेहतरीन अवसर होगा।

बाइडेन और हैरिस पहले ही रूपरेखा तैयार कर चुके हैं, जिसके आधार पर उनके प्रशासन ने भारत के साथ सहयोग करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। जलवायु इनमें सबसे प्रमुख मुद्दा है। उन्होंने साल 2050 तक अमेरिका को 100% स्वच्छ ऊर्जा वाली अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में शीघ्र कार्रवाई करने तथा दुनिया के दूसरे देशों को अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करने की शपथ ली है। इस प्रकार की वचनबद्धता का लाभ भारत को भी मिलेगा, क्योंकि इस क्षेत्र में अमेरिका और भारतीय उपमहाद्वीप के सामने मौजूद चुनौतियां एक सी हैं।

मैं हिमाचल प्रदेश में एक बोर्डिंग स्कूल का छात्र था। मुझे आज भी याद है कि मैं अपनी कक्षा की खिड़कियों से हिमालय के शानदार नजारे देखा करता था। लेकिन बीते दशकों में वायु प्रदूषण की वजह से अब वहां से हिमालय धुंधला दिखता है। भारत ने जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए पहले से ही अपने स्तर पर प्रयास शुरू कर दिए हैं और ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों को अपनाया है, जिसमें पांच साल पहले अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना भी शामिल है।

अब, यू.एन. ग्लोबल कॉम्पेक्ट से जुड़ने वाले हमारे जैसे बहुराष्ट्रीय संगठन तथा पूरी तरह-शून्य उत्सर्जन को प्राप्त करने एवं ईएसजी रिपोर्टिंग में सुधार करने की दिशा में हमारी अपनी प्रतिबद्धताओं के कारण भारत और अमेरिका के लिए एकजुट होकर काम करने का सुनहरा मौका है। स्वास्थ्य भी इसी प्रकार का एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है। महामारी का सामना करने के लिए वैक्सीन के विकास के साथ-साथ इसके निर्माण और बड़े पैमाने व समान रूप से वितरण के लिए सहभागितापूर्ण वैश्विक प्रयासों का बाइडेन ने समर्थन किया है। इसने अमेरिका के लिए नहीं बल्कि भारत के लिए भी उम्मीद जगाई है।

और अंत में, हमारी अर्थव्यवस्था भी एक प्रमुख मुद्दा है। वास्तव में एच1बी वीजा की प्रक्रिया में सुधार करने और विज्ञान-तकनीक-इंजीनियरिंग और गणित क्षेत्रों में पीएचडी के लिए ग्रीन कार्ड पर नियंत्रण को पूरी तरह हटाने, दुनिया भर में हरित ऊर्जा और बुनियादी ढांचे में निवेश; और भारत को वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं के एक महत्वपूर्ण भाग के रूप में मान्यता देने के संदर्भ में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बाइडेन ने जिन नीतियों का प्रस्ताव दिया है, उससे निश्चित तौर पर भारत को लाभ होगा। द्विपक्षीय व्यापार करार का अवसर भारत को दुनिया के सबसे बड़े बाजार तक पहुंच प्रदान करेगा। क्षेत्रीय व्यापार करारनामे की अनुपस्थिति में, यह भारत की अर्थव्यवस्था को कुछ सुरक्षा प्रदान करता है।

अमेरिका तथा अन्य देशों के सीईओ भारत के भविष्य के बारे में हमारी धारणा को लेकर लगभग एकमत हैं और वे सभी यहां के लोगों, यहां की उत्पादक क्षमताओं और यहां की संभावनाओं में निवेश करने के लिए बेहद उत्साहित हैं। देश में खाद्य प्रसंस्करण, दवा निर्माण, रक्षा, वस्त्र निर्माण और इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में बड़ी एवं दीर्घकालीन संभावनाएं मौजूद हैं। इन क्षेत्रों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश से सही मायने में रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे तथा मौजूदा परिस्थितियों में बदलाव आएगा।

(ये लेखक के अपने विचार हैं।)



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पुनीत रेन्जेन, सीईओ, डेलॉइट ग्लोबल


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