Skip to main content

अगर आप हुनरमंद हैं, तो हर स्तर पर और हर मौके पर उसे दिखाएं, उसे प्रदर्शित करें

मुझे रोज़ देशभर के युवाओं से लगभग आधा दर्जन खत मिलते हैं, जिनमें वे लिखते हैं कि हम जिस दुनिया में रहते हैं, वह हमें समझ नहीं पाती है। उन्हें लगता है कि हम दुनिया उन्हें नौकरी देकर उनकी क्षमता जांचने का मौका नहीं देती है और नौकरी देने वाली पीढ़ी युवा पीढ़ी से पूरी तरह जुड़ नहीं पाती है। मैं उन्हें विनम्र जवाब भेजता हूं कि पूरी पीढ़ी पर राय बनाने की जगह, क्या वह बता सकते हैं कि उनमें क्या हुनर है या किस क्षेत्र में वे खुद को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं, ताकि अवसर मिलने पर मैं उनके खत ऐसे व्यक्ति को भेज सकूं, जिसे उनके कौशल की तलाश है।

ऐसे खत मुझे डोनाल्ड गूल्ड की याद दिलाते हैं। जैसा कि कई लोगों के साथ होता है, डोनाल्ड ने एक त्रासदी के बाद खुद को खोया हुआ पाया। मॉर्फीन के ओवरडोज से उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई, जिससे उन्हें 3 वर्षीय बेटे की कस्टडी से हाथ धोना पड़ा। पलक झपकते ही उनकी दुनिया बिखर गई। यह सेनानिवृत्त सिपाही ड्रग्स की लत लगने के बाद सरासोटा, फ्लोरिडा की सड़कों पर आ गया।

इस शहर में विभिन्न क्षेत्रों में सात पियानो रखे गए हैं, जिन्हें कोई भी बेंच पर बैठकर बजा सकता है। डोनाल्ड ने उनमें से एक पियानो को अपनी ज़िंदगी की आखिरी उम्मीद की तरह इस्तेमाल किया। उन्होंने अपनी टोपी पियानो पर रखकर राहगीरों का मनोरंजन करना शुरू किया। राहगीर टोपी में पैसे डालकर जाते, जिससे डोनाल्ड खाना खरीद पाते। एक दिन, 2015 में जब डोनाल्ड सड़क के पियानो पर ‘कम सेल अवे’ बजा रहे थे, एक व्यक्ति ने उनका वीडियो बनाकर यूट्यूब पर अपलोड कर दिया।

डोनाल्ड हैरान रह गए, जब वीडियो बहुत वायरल हो गया। दो दिनों में उसपर 20 लाख व्यूज आए। फिर 2018 तक 4 करोड़ से ज्यादा व्यूज हो गए और उसके बाद से डोनाल्ड की जिंदगी पूरी तरह बदल गई है। वे हुनरमंद थे और उनका संगीत पूरी दुनिया ने सुना। पहले दु:ख और अंत में जीत की उनकी कहानी उल्लेखनीय है। उनके वीडियो पर सारासोटा मिनिस्ट्री ग्रुप की जैकलीन बेविन का ध्यान गया। उन्होंने डोनाल्ड की फिर से पटरी पर आने में मदद की और उन्हें उनके बेटे से भी फिर मिलवाया। अनजान लोगों ने डोनाल्ड के लिए ऑनलाइन 40 हजार डॉलर का फंड इकट्‌ठा किया।

डोनाल्ड को पियानो के कार्यक्रमों के ढेरों ऑफर मिले, जिसमें सैन फ्रांसिस्को फॉर्टीनाइनर्स के लिए 75 हजार लोगों की भीड़ के बीच राष्ट्रगान बजाने का मौका भी शामिल है। उनके वायरल होने के दो साल बाद 14 नवंबर 2017 को उनका पहला एल्बम ‘वॉक ऑन वॉटर’ आया। दिसंबर 2019 तक ‘वॉक ऑन वॉटर’ एमेजॉन पर सीडी पर भी उपलब्ध था। अब उनके फैन्स 2020 में उनके नए म्यूजिक का इंतजार कर रहे हैं। आईट्यून्स पर उनका एल्बम पहले ही उपलब्ध है।

नया लुक और नया रिकॉर्डिंग कॉन्ट्रैक्ट मिलने के अलावा भी डोनाल्ड की जिंदगी काफी बदल गई है। उन्हें आखिरकार खुद का घर मिल गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्हें अपने किस हुनर पर गर्व है? वे चाहे सड़क पर हों या रिकॉर्डिंग स्टूडियो में या अपने घर में, लोगों का मनोरंजन करना रहेगा हमेशा उनका जिंदगी जीने का तरीका रहेगा।

अपने डर को समझिए। अपने डर का इस्तेमाल चुनौती को समझने और उसके लिए तैयारी करने में इस्तेमाल करें, न कि उससे बचने के बहाने के रूप में। डर लगने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन भागना ठीक नहीं है।

फंडा यह है कि अगर आप हुनरमंद हैं, तो हर स्तर पर और हर मौके पर उसे दिखाएं, उसे प्रदर्शित करें, लोगों को बताएं कि आपके पास क्या है और आप किस काम में अच्छे हैं। मेरा यकीन मानिए, दुनिया उसे पहचान लेगी।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/36hIYqs

Comments

Popular posts from this blog

कोरोनावायरस के हमले पर कैसे रिएक्ट करता है हमारा शरीर? वैक्सीन की जरूरत क्यों?

कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को बुरी तरह प्रभावित किया है। जनवरी में यह चीन से बाहर फैला और धीरे-धीरे पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। जान बचाने के खातिर हर स्तर पर कोशिशें तेज हो गईं। करीब 11 महीने बाद भी रिकवरी की हर कोशिश को कोरोना ने नई और ताकतवर लहर के साथ जमींदोज किया है। ऐसे में महामारी को रोकने के लिए सिर्फ वैक्सीन से उम्मीदें हैं। पूरी दुनिया में वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। जब दुनियाभर में वैज्ञानिक कोरोनावायरस को खत्म करने के लिए वैक्सीन बनाने में जुटे हैं तो यह जानना तो बनता है कि इसकी जरूरत क्या है? मेडिकल साइंस को समझना बेहद मुश्किल है। आसान होता तो हर दूसरा आदमी डॉक्टर बन चुका होता। हमने विशेषज्ञों से समझने की कोशिश की कि कोरोनावायरस शरीर पर कैसे हमला करता है? उस पर शरीर का जवाब क्या होता है? वैक्सीन की जरूरत क्यों है? वैक्सीन कैसे बन रहा है? यहां आप 5 प्रश्नों के जवाब के जरिए जानेंगे कि - कोरोनावायरस के हमले पर शरीर का रिस्पॉन्स क्या होता है? कोरोनावायरस को खत्म करने के लिए वैक्सीन की जरूरत क्या है? किस तरह से वैक्सीन बनाए जा रहे हैं? वैक्सीन के ...

आज विधायक पद की शपथ लेंगी दीदी:6 भाइयों की इकलौती बहन हैं ममता, जानलेवा हमला हुआ, पीटा गया; अब मोदी को 2024 में हराने के लिए नई रणनीति बनाई

from DB ओरिजिनल | दैनिक भास्कर https://ift.tt/2YpkYAQ

इंसानों की जगह ले रही हैं मशीनें; सारे फैसले खुद लेती हैं

चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस का कोई कांस्टेबल नहीं दिख रहा था। चालान कटने का डर भी नहीं था। शर्माजी ने स्टॉपलाइन की परवाह नहीं की और कार को आगे बढ़ा दिया। पर वहां क्लोज सर्किट कैमरा (CCTV) लगा था और उसने शर्माजी की हरकत को कैमरे में कैद कर लिया। दो दिन बाद जब चालान घर पहुंचा तो शर्माजी ने माथा पकड़ लिया। उन्हें अब भी समझ नहीं आ रहा था कि जब कोई कॉन्स्टेबल चौराहे पर था ही नहीं, तो यह चालान कैसे बन गया? शर्माजी की तरह सोचने वाले एक-दो नहीं बल्कि लाखों में हैं। उन्हें पता ही नहीं कि यह सब किस तरह होता है? और तो और, यहां ले-देकर मामला भी नहीं निपटा सकते। इस मामले में हुआ यह कि CCTV से आए फुटेज के आधार पर मशीन पहले तो गाड़ी का नंबर दर्ज करती है। फिर उससे कार के मालिक का पता निकालकर उसे चालान भेजती है। किसी तरह की कोई शंका न रहे, इसलिए वह फोटो भी साथ भेजती है जो कानून तोड़े जाने का सबूत बनता है। यह सब होता है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI की वजह से। यहां एक मशीन वही काम करती है, जिसकी उसे ट्रेनिंग दी जाती है। यदि कोई दूसरा काम करना हो तो उसके लिए दूसरी मशीन बनाने की जरूरत पड़ती है। मशीन को किस...