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आप सभी को नए साल की शुभकामनाएं। पिछले 10 महीनों में टीवी के सामने बैठकर रियलिटी शो देखते हुए कई लोगों ने सोचा होगा कि वे भी इनका हिस्सा बन सकते हैं। लेकिन हम जानते हैं कि इतना बड़ा देश होने के कारण शोज में जगह कम है। कुछ लोगों ने सोचा होगा कि क्या हर शहर में ऐसी जगहें हो सकती हैं, जहां बड़ी संख्या में दर्शक आ सकें। यही कारण था कि शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए उभरते हुए स्टार्ट-अप फंडा फैक्टरी, जिसका नाम इस कॉलम की तरह लगता है, द्वारा कैचअप और फ्राइज खाते हुए हर उम्र वर्ग से सवाल पूछने ने मेरा ध्यान आकर्षित किया।
क्विज चैंपियन से क्विज मास्टर बने अभिजीत श्याम, मोथी विक्रम, डी सुंदरनाथन, दीनू अरविंद, टी सुरेश, निवास सुधन और कौशिक एस साथ आए और उन्होंने ‘गॉबल डॉबल’ शुरू किया, जो मदुरई का पहला 42 सीटर गेमिंग कैफे है। इनमें से कुछ विभिन्न शहरों में रहते हैं। लॉकडाउन के महीनों ने उन्हें क्विजिंग में नया कॉन्सेप्ट लाने के लिए प्रोत्साहित किया। क्रिसमस से पहले शुरू हुए इस कैफे में प्रवेश शुल्क 200 रुपए प्रति टीम है और विजेता व रनर अप को उपहार तथा शहर के रेस्त्रां, ब्यूटी सैलॉन आदि के डिस्काउंट वाउचर मिलते हैं।
वे जैसे-जैसे प्रगति करेंगे, फॉर्मेट और इनामों में भी बदलाव करते रहेंगे। एक बार यह आइडिया चल पड़े, उसके बाद फंडा फैक्टरी की भविष्य में शहर के अन्य कैफे में साप्ताहिक कार्यक्रम आयोजित करनी की भी योजना है। भारतीय सेना के दो सेवानिवृत्त अधिकारियों का भी उदाहरण देखें जिन्होंने कम या मध्यम आय समूहों के छात्रों के लिए कम कीमत वाला ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म बनाया है।
मेजर जनरल वीएन प्रसाद (सेवानिवृत्त) और मेजर डीके कुमार (सेवानिवृत्त) ने ‘ई विद्यालय’ एजुकेशन प्लेटफॉर्म बनाया, जो ऑनलाइन कक्षाएं, डिजिटल कंटेंट और लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम देता है। उन्होंने देखा कि महामारी में लोगों की नौकरियां गईं, बच्चों स्कूल छोड़ना पड़ा क्योंकि वे फीस नहीं भर पाए। दोनों ने फैसला लिया कि ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाएंगे, जो वर्चुअल क्लासरूम सेवाएं और ट्यूशन देने के अलावा कम्प्यूटेशनल थिंकिंग , कोडिंग कौशल, सायकोमेट्रिक (मनोमिति) परीक्षण, विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं और एसएसबी की कोचिंग, पर्सनालिटी डेवलपमेंट, स्पोकन इंग्लिश क्लासेस, विदेशी भाषा, एडाप्टिव टेस्टिंग आदि भी प्रदान करेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी कम्प्यूटेशनल थिंकिंग और कोडिंग को छठवीं कक्षा से पढ़ाना चाहती है।
वे बच्चों को 3000 रुपए सालाना में कोडिंग कोर्स दे रहे हैं, जबकि अन्य प्लेटफॉर्म 1 लाख रुपए प्रतिवर्ष से ज्यादा लेते हैं। यह फीस और कम हो सकती है अगर इसमें अधिक स्कूल और छात्र शामिल हों। इसी तरह ऑनलाइन कोर्स 150-200 रुपए से शुरू हैं। शहीदों के बच्चों के लिए सभी प्रोग्राम मुफ्त हैं। यह प्लेटफॉर्म अभी आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के करीब 13 हजार स्कूलों को प्रशिक्षण दे रहा है, जिनमें 6 लाख छात्र हैं।
अब दोनों इसे कर्नाटक में शुरू करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने 1997 में पुलवामा, जम्मू-कश्मीर में पहला सद्भावाना स्कूल शुरू किया था, जब आंतकवाद के कारण कई स्कूल जला दिए गए थे। उन्हें इस प्लेटफॉर्म का विचार आया। शतरंज में दो तरह के खिलाड़ी होते हैं। एक वे जो अगली चाल सोचते हैं और दूसरे वे जो आगे की कई चालें सोच लेते हैं। 2021 दूसरे सिद्धांत पर काम करेगा। फंडा यह है कि यह मायने नहीं रखता कि काम क्या है, जब आप उसे योगदान की भावना से करते हैं, तो वह हमेशा फलता-फूलता है।
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