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भारत में कोरोनावायरस को रोकने के लिए 16 जनवरी से वैक्सीनेशन शुरू हो रहा है। फेज-1 में 3 करोड़ हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन लगेगी। उसके बाद 50 वर्ष से ज्यादा उम्र वालों और 50 वर्ष से कम उम्र वाले हाई-रिस्क में आने वाले 27 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी। यानी अगस्त 2021 तक 30 करोड़ लोगों की प्रायोरिटी लिस्ट को वैक्सीन लगाने की तैयारी है।
एसबीआई रिसर्च की नई रिपोर्ट के मुताबिक सरकार को अपना टारगेट पूरा करना है तो हर दिन 13 लाख लोगों को वैक्सीनेट करना होगा। यह एक बड़ी चुनौती होगी क्योंकि चीन को छोड़कर और किसी देश में इतने ज्यादा लोगों को एक दिन वैक्सीनेट नहीं किया गया है। चीन का भी दो ही दिन का डेटा उपलब्ध है, जिसमें उसने 22.5 लाख लोगों को एक दिन में वैक्सीनेट किया और दो दिन में करीब 45 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई। अन्य देशों की बात करें तो अमेरिका में हर दिन 5.37 लाख और यूके में 4.72 लाख लोगों को वैक्सीनेट किया जा रहा है।
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इस चुनौती का सामना कैसे करेगा भारत?
- वैक्सीनेशन की पूरी प्रक्रिया में वैक्सीनेटर की भूमिका प्रमुख रहने वाली है। नेशनल लेवल पर ट्रेनर्स को ट्रेनिंग दी गई, जिसमें 2,360 मास्टर ट्रेनर तैयार किए गए। इसमें राज्यों के टीकाकरण अधिकारी, कोल्ड चेन के अधिकारी, डेवलपमेंट पार्टनर्स और अन्य लोग शामिल थे।
- करीब 61,000 प्रोग्राम मैनेजर्स, 2 लाख वैक्सीनेटर्स और वैक्सीनेशन टीम के 3.7 लाख अन्य सदस्यों को ट्रेनिंग दी गई है। इन्हें राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर ट्रेनिंग दी गई है। शुक्रवार को 33 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 615 जिलों 4,895 साइट्स पर ड्राई रन कराया गया। अब तक की योजना के अनुसार हर साइट पर 100 से 200 लोगों को वैक्सीनेट किया जाएगा।
- शुरुआत में वैक्सीन की उपलब्धता सीमित रहने वाली है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका के करीब 10 करोड़ डोज उपलब्ध कराने की तैयारी की है। इतने ही डोज भारत बायोटेक कोवैक्सिन के उपलब्ध कराने वाली है। दोनों ही कंपनियों ने कोरोना वैक्सीन बनाने के लिए नई फेसिलिटी विकसित की है, जो मार्च या अप्रैल में काम करना शुरू कर देगी। इससे इनकी प्रोडक्शन क्षमता भी बढ़ जाएगी और वैक्सीन की उपलब्धता भी।
- इस दौरान अन्य वैक्सीन कैंडिडेट्स (जायडस कैडिला की वैक्सीन समेत अन्य) को भी मार्च के बाद मंजूरी मिलने की उम्मीद है। यानी मार्च और अप्रैल के बाद वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ेगी और साथ ही वैक्सीनेशन की रफ्तार भी। इससे अगस्त 2021 तक 30 करोड़ लोगों को वैक्सीनेट करने का टारगेट पूरा हो सकता है।
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कितनी लागत आएगी सरकार को?
- अब तक कीमत को लेकर स्पष्टता नहीं है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला की माने तो उनकी वैक्सीन 3 डॉलर यानी 220 से 250 रुपए के बीच में सरकार को मिलेगी। वहीं, अन्य वैक्सीन की कीमत अब तक तय नहीं हो सकी है।
- इसके बाद भी एसबीआई रिसर्च ने प्रति व्यक्ति वैक्सीन लगाने की लागत 100 से 150 रुपए बताई है। यानी 30 करोड़ लोगों को वैक्सीनेट करने में सरकार को 21 हजार से 27 हजार करोड़ रुपए का खर्च करना पड़ सकता है।
- इसी तरह, बची हुई 50 करोड़ आबादी को दिसंबर-2022 तक वैक्सीनेट करने में 35 से 45 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसके बाद भी कोरोना वैक्सीनेशन पर होने वाला खर्च देश की जीडीपी का 0.75% से कम रहने वाला है।
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