Skip to main content

Posts

Showing posts from June, 2020

नासा की कई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल मेडिकल साइंस में

जिस तरह एक बीमारी को दूर करने के लिए एक डॉक्टर मानव शरीर को सूक्ष्म तरीके से समझने की कोशिश करता है, उसी प्रकार नासा अथाह अंतरिक्ष को गहराई से समझने की कोशिश करता है, ताकि हर नई खोज और ज्ञान को मानव कल्याण के लिए इस्तेमाल किया जा सके। नासा अधिकतर सरकारी एजेंसियों से बहुत अलग है। यह दुनियाभर की बाकी स्पेस एजेंसियों से भी अलग है। बहुत कम लोग जानते हैं कि नासा के पास देश की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी नहीं है। हम सिर्फ खोज और आविष्कार करते हैं। नासा पर पैसा कमाने का भार भी नहीं है। नासा दुनिया को एक अविभाजित अस्तित्व के तौर पर देखता है। नासा जब धरती को अंतरिक्ष से देखता है तो उसे सीमाएं नजर नहीं आती। नासा में डॉक्टर होने के नाते मेरा काम यह सुनिश्चित करना है कि अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले एस्ट्रोनॉट्स हर हाल में तंदरुस्त रहें। आज नासा की कई टेक्नोलॉजी मेडिकल साइंस में इस्तेमाल हो रही हैं। उदाहरण के तौर पर मानव शरीर के तापमान को नापने के लिए आज जिस थर्मो गन का इस्तेमाल हो रहा है, वह थर्मो स्कैन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इस टेक्नोलॉजी की मदद से नासा ग्रहों के तापमान को नाप लेता है। नासा ने ...

भारत और चीन के बीच विवाद से जुड़े हुए सात कड़वे सच

आज भारत-चीन सीमा पर संकट का सामना करने के लिए उसी देशप्रेम की जरूरत है, जिसका परिचय राममनोहर लोहिया और अटल बिहारी वाजपेयी ने साठ साल पहले दिया था। वर्ष 1962 के चीन युद्ध से पहले चीन पर कड़वा सच बोलने से सब कतराते थे। या तो वे नेहरू से घबराते थे, या माओ के मोह में फंस जाते थे। इस माहौल में सबसे पहले राम मनोहर लोहिया ने चीन से देश की सुरक्षा को खतरे और नेहरू की लापरवाही के प्रति देश को आगाह किया था। युद्ध के बाद संसद में अटल बिहारी वाजपेयी ने भी भारत-चीन संबंध का कड़वा सच सामने रखा था। आज फिर चुप्पी का पर्दा डालने की कोशिश है। ऐसे में इस चुनौती का सामना करने के लिए हम सबसे पहले सच का सामना करें, भारत-चीन संबंध के विवाद के सात कड़वे सच बिना लाग-लपेट के देश के सामने पेश किए जाएं। पहला कड़वा सच: चीन की फौज एलएसी को पार कर हमारी 40-60 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा करके बैठ गई है। इसकी पुष्टि सैटेलाइट तस्वीरों से हुई है। हमारी सेना और विदेश मंत्रालय के बयानों से भी यही आशय निकलता है। प्रधानमंत्री का कहना सच नहीं है कि ‘ना कोई हमारी सीमा में घुसा है, न ही कोई वहां घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई...

किसी की दो साल में कमाई पहुंच गई 5 लाख रुपए महीना तक, तो किसी को मुंबई से शो के लिए कॉल आया

सरकार ने टिक टॉक को बैन कर दिया है। इस ऐप के जरिए दो साल में ही किसी की कमाई 5 लाख रुपए महीना तक पहुंच गई तो किसी के टैलेंट को मुंबई में प्लेटफॉर्म मिल गया। ये लोग सरकार के डिसीजन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन टिक टॉक की तरह ही ऐसा कोई प्लेटफॉर्म चाहते हैं जहां इनके टैलेंट को मौका भी मिलते रहे और चीन की दखलअंदाजी भी न हो। दो साल में 12 मिलियन फॉलोअर्स, कमाई 5 लाख रुपए महीना तक टिक टॉक पर 12 मिलियन फॉलोअर्स वाले सन्नी कालरा कहते हैं कि, हम सरकार के डिसीजन के साथ हैं। सन्नी टिक टॉक से हर महीने 3 से 5 लाख रुपए तक कमाते हैं। वे कहते हैं कि, मैं पिछले दो साल से इस ऐप पर एक्टिव हूं। हर रोज एक वीडियो पोस्ट करता हूं। लेकिन हमें ज्यादा दिक्कत इसलिए नहीं होगी कि क्योंकि हम लोग कंटेंट क्रिएटर हैं। टिक टॉक बैन हो गया है तो अब हम यूट्यूब, इंस्टाग्राम पर ज्यादा मेहनत करेंगे। लिपसिंग करने वाले जरूर परेशान हो जाएंगे। यूट्यूब पर एक अच्छा वीडियो बनाने में पांच से छ दिन का वक्त लगता है। टिक टॉक पर एक दिन में एक वीडियो हो जाता है। सन्नी के टिक टॉक पर 12 मिलियन से भी ज्यादा फॉलोअर्स हैं। वे यूजर्स के बीच क...

तिरुपति में हर रोज बाहर से आ रहे 12 हजार श्रद्धालु; जितने पहले दो घंटे में दर्शन करते थे, अब पूरे दिन में कर रहे हैं

सुबह के साढ़े पांच बजे हैं। कडप्पा से आए पीएस सुधीर अपनी पत्नी औरबेटे के साथ श्रीवारी ट्रस्ट के दानदाताओं के लिए ब्रेक (वीआईपी) दर्शन की लाइन में लगे हैं। वे पहले हर महीने दर्शन करने आते थे। लेकिन, पिछले तीन महीने से यहां नहीं आ पाए। हाल ही में उन्होंने श्रीवारी ट्रस्ट में 10 हजार रुपए से ज्यादका दान दिया था। इसलिएउन्हें बिना दिक्कत के ब्रेक दर्शन का विकल्प मिल गया। ब्रेक दर्शन काटिकट होने की वजह से उन्हें तिरुमाला में एक रात रुकनेके लिए भी कमरा भी मिल गया। सुधीर सोमवार को मंदिर पहुंचे उन 12 हजार श्रद्धालुओं में से एक हैं, जिन्होंनेवेंकटेश बालाजी का दर्शन किया। तिरुमाला पहाड़ी में कोरोना का एक भी मरीज नहीं 8 से 10 जून तक हर दिन 6 हजार से ज्यादा ट्रस्ट कर्मचारियों और स्थानीय लोगों के साथ किए गए दर्शन के ट्रायल के बाद 11 जून से आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन खोल दिया गया। इसके बाद हर दिन यह संख्या बढ़ती गई। जून के आखिर तक यह संख्या बढ़कर 12 हजार हो गई है। खास बात यह है कि तिरुमाला पहाड़ी, जहां वेंकटेश बालाजी का मंदिर है, वहां कोरोनाका एक भी मरीज नहीं है और वह ग्रीन जोन है। यहां11 जून से आम...

कश्मीरियों की मौत पर चुप रहे, कश्मीर के बच्चों को आतंकवादी बनाया और अपने बच्चों के लिए विदेश में पढ़ाई और नौकरियां बटोरी

तारीख थी 21 अक्टूबर 2010 और जगहदेश की राजधानी दिल्ली का एलटीजी ऑडिटोरियम। इस ऑडिटोरियम में सैयद अली शाह गिलानी वामपंथी कार्यकर्ताओं के एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस सम्मेलन का विषय था- "आजादी-द ओनली वे'। हॉल में मंच पर अरुंधति रॉय, वरवारा राव और एसएआर गिलानी भी बैठे हुए थे और नारे गूंज रहे थे "हम क्या चाहते आजादी'। सैयद अली शाह गिलानी जम्मू-कश्मीर पर भारत के रवैये के खिलाफ थे। सोमवार सुबह अचानक गिलानी ने अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से इस्तीफे की घोषणा कर दी। 47 सेकंड की एक ऑडियो क्लिप में 91 साल के गिलानी ने कहा कि उन्होंने संगठन के मौजूदा हालात को देखते हुए हुर्रियत से अलग होने का फैसला लिया है। बाद में दो पन्ने के एक लेटर में उन्होंने अपने अलगाववादी साथियों पर राजनीतिक भ्रष्टाचार और फाइनेंशियल गड़बड़ियां करने का आरोप लगाया। इसके साथ ही उन्होंने पाकिस्तान में हुर्रियत के अलगाववादियों पर भी मजहब को गलत तरीके से पेश करने और फैसले लेने से पहले उनसे सलाह न लेने का दोषी ठहराया। हुर्रियत के पतन को राजनीतिक भ्रष्टाचार के परिणाम के तौर पर देखा जा रहा है, क्यों...

क्यों राफेल की तरह पहले मिग 21 और जगुआर भी अंबाला में ही तैनात हुए थे और इससे मुकाबले के लिए चीन के पास कोई फाइटर नहीं हैं

भारत को 27 जुलाई तक फ्रांस से 6 राफेल फाइटर जेट मिलने वाले हैं। इन फाइटर जेट को अम्बाला एयरबेस पर तैनात किया जाएगा। भारत राफेल बनाने वाली फ्रेंच कंपनी दसॉ एविएशन से 36 फाइटर जेट खरीदेगा। उम्मीद है कि 2022 तक ये सभीफाइटर जेट मिल जाएंगे। एलएसी पर चीन के साथ जारी तनाव के बीच राफेल हमारे लिए बहुत जरूरी भी था। भारतीय वायुसेना ने पहले भी फ्रांस, रूस और ब्रिटेन जैसे देशों से फाइटर जेट खरीदे हैं। फ्रांस से हमने जो भी फाइटर जेट खरीदे हैं, वो सभी दसॉ एविएशन के हैं। इसमें 1953 से 1965 के बीच 104 एमडी 450 ओरागेन (भारत में इसे हरिकेन कहते हैं) खरीदे थे। 1957 से 1973 के बीच 110 एमडी 454 मिस्टेरे-5 खरीदे थे। 1985 में मिराज 2000 खरीदे थे। मिराज का इस्तेमाल हम कारगिल की लड़ाई और बालाकोट एयरस्ट्राइक में भी कर चुके हैं। 27 जुलाई को फ्रांस से राफेल फाइटर जेट की पहले खेप आएगी। इसके तहत 6 विमान भारत पहुंचेंगे। राफेल फाइटर जेट के आने के बाद भारत की कितनी ताकत बढ़ेगी? चीन के विमानों की तुलना में ये कितना शक्तिशाली होगा? ये सब समझने के लिए पढ़िए रिटायर्ड एयर मार्शल अनिल चोपड़ा का एक्सप्लेनर... भारतीय पायल...

ये ऐप डाउनलोड करने वालों में हर तीन में से एक भारतीय; लॉकडाउन में आरोग्य सेतु से ज्यादा टिक टॉक डाउनलोड हुआ

लद्दाख सीमा पर भारत-चीन की सेनाओं के बीच जारी तनाव के बीच सोमवार को केंद्र सरकार ने चीन की 59 ऐप्स को भारत में बैन कर दिया है। केंद्र सरकार के इस कदम को सोशल मीडिया पर "डिजिटल सर्जिकल स्ट्राइक' करार दिया गया। जिन 59 ऐप्स पर सरकार ने पाबंदी लगाई है, उसमें टिक टॉक भी शामिल है। टिक टॉक न सिर्फ देश बल्कि दुनिया की सबसे पॉपुलर ऐप्स है। दुनियाभर में टिक टॉक के डेढ़ अरब से ज्यादा डाउनलोड हैं। इसमें से एक तिहाई हिस्सा भारतीयों का है। टिक टॉक डाउनलोड करने वालों में हर तीन में से एक भारतीय मोबाइल ऐप इंटेलिजेंस पर काम करने वाली सेंसर टॉवर की रिपोर्ट के मुताबिक, टिक टॉक डाउनलोड करने वालों में सबसे ज्यादा भारतीय यूजर हैं। अब तक भारत में टिक टॉक को 61.1 करोड़ से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है। यानी, जो लोग भी टिक टॉक डाउनलोड कर रहे हैं, उनमें से हर तीन यूजर में से एक भारतीय यूजर है। हालांकि, भारत में टिक टॉक के मंथली एक्टिव यूजर्स की संख्या 20 करोड़ के आसपास है। इसका मतलब ये हुआ कि भले ही 61.1 करोड़ बार डाउनलोड हो चुका है, लेकिन इसमें से 20 करोड़ लोग ही ऐसे हैं, जो हर महीने कम से कम एक ...

परदे के पीछे: खुश है जमाना आज पहली तारीख है

कुछ लोग घर की दीवार पर लगे कैलेंडर का पृष्ठ महीने की पहली तारीख को बदलते हैं, तो कुछ महीने के आखिरी दिन बदलते हैं। इस साधारण बात से मनुष्य का नजरिया समझा जा सकता है। भविष्य के लिए अपने आपको तैयार करने वाले एक दिन पूर्व ही कैलेंडर का पृष्ठ बदल देते हैं। कुछ संकट आने पर उससे रू-ब-रू होना चाहते हैं। वर्तमान के युवा मोबाइल से ही समय पढ़ते और चौकन्ने रहते हैं। आधुनिक कैलेंडर से तो वार्तालाप भी कर सकते हैं, बर्तज राही मासूम रजा के कि ‘मैं समय हूं (महाभारत)। मोबाइल से घर बैठे विश्व भ्रमण कर सकेंगे? मोबाइल नामकरण भी कबीर की उलटबासी जैसा है कि स्थिरता में गति विद्यमान है। याद आती हैं, निदा फाजली की पंक्तियां ‘मैं रोया परदेस में भीगा मां का प्यार, दिल ने दिल से बात की बिन चिट्‌ठी बिन तार।’ वर्तमान में युवा सारे समय मोबाइल से चिपके हैं यह रोग भी बन सकता है। एलेक्सा से इकतरफा इश्क भी हो सकता है। रोमांस की परिभाषा बदल सकती है। जर्जर होती विवाह संस्था पर यह अप्रत्याशित आक्रमण हो सकता है। कैलेंडर ने लंबी यात्रा की है। जबलपुर से प्रकाशित लाला राम स्वरूप कैलेंडर में तिथि मिति, विवरण भी होता है। प्रदोष...

मैनेजमेंट फंडा: क्या यह अच्छी यादें बनाने का समय है?

अगर ये कोरोना न होता तो इस हफ्ते विम्बलडन शुरू हो चुका होता। तीन दिनों से मेरा परिवार मुझे यह रोना रोते देख रहा है कि मुझे विम्बलडन कितना याद आ रहा है। चूंकि मैंने लंदन में विम्बलडन, जर्मनी में फुटबॉल और पाकिस्तान में क्रिकेट भी कवर किया है, इसलिए इनकी मेरे दिल में खास जगह है। जब भी लंदन के ऑल इंग्लैंड क्लब में विम्बलडन होता है, मैं पत्नी को टीवी की ओर इशारा कर गर्व से बताता हूं, ‘मैं वहां बैठा था’ या ‘मैंने यह किया था।’ तभी मेरी बेटी बीच में कूद पड़ी और अपना दुखड़ा बताने लगी, ‘आप विम्बलडन को याद कर रहे हैं और आप नहीं जानते कि मुझे मुंबई के नाइट-आउट (रात की सैर) की कितनी याद आ रही है, जो मैंने 100 दिन से नहीं किया है। ऊपर से आप पुलिस कस्टडी में हुई मौतों की दर्दनाक बातें भी बता रहे हैं।’ (हाल ही में हुआ तमिलनाडु मामला) वह बहुत व्यथित थी। उसकी प्रतिक्रिया महाराष्ट्र और तमिनाडु सरकारों द्वारा सोमवार को कर्फ्यू 31 जुलाई तक बढ़ाने के फैसले का नतीजा थी। इससे मुझे 1972 में लिखे गए विजय तेंदुलकर के मशहूर नाटक घासीराम कोतवाल की याद आई, जिसपर 1976 में इसी नाम से मराठी फिल्म भी बनी। विजय तेंदुलक...

जीने की राह: इस दौरान पनडुब्बी की तरह हो जाएं

इस समय इंसान के भीतर और बाहर दोनों ही वातावरण में एक अजीब-सा घालमेल हो गया है। महामारी के इस दौर में हमारी जीवनशैली कैसी हो, इस पर खूब समझाया जा रहा है। कुछ लोग सुनते हैं, उसका पालन भी करते हैं। कोई एक कान से सुनता है, दूसरे से निकाल देता है। हालाकि ऐसा होता भी है या नहीं, यह भी तय नहीं है। डॉ. हेनरी मोजर कहा करते थे- जब इन्सान मुंह से बोलता है तो वे ही शब्द कानों के माध्यम से बाहर निकलते हैं। अजीब बात है कि इन्सान के शब्द न सिर्फ मुंह से, बल्कि कान से भी निकलते हैं। अब ऐसा ही कुछ बाहर का वातावरण हो गया है। नियम-कायदों की बात तो बहुत की जाती है, पर सारे नियम सामान्य लोगों के लिए हैं। विशिष्ट ने तो रास्ते निकालना शुरू कर दिए हैं। इसलिए आम आदमी को सामान्य बातें समझना चाहिए। इस दौरान पनडुब्बी की तरह हो जाएं, जो पानी में रहती है, पर पानी उसके भीतर नहीं जाता। शास्त्रों में भी कहा गया है- ऐसे समय कछुए की तरह हो जाना चाहिए कि कब पैर बाहर निकालना है और कब अपनी मजबूत खोल में भीतर कर लेना है। कहा जाता है मनुष्य के भीतर तीन गुण होते हैं- तमोगुण, रजोगुण और सतोगुण। जब, जो गुण हावी हो जाता है, मन...

गर्दन फंसी हुई है सिर में, सिर पर कैक्टस उगे हुए हैं...

कोरोना के कारण जब यहां-वहां बसे मज़दूर अपने घरों को लौट रहे थे, हृदय विदारक दृश्य था। दर्द सड़कों पर बह रहा था। दुखों की कहानियां कह- कहकर लोग थक चुके थे। लोगों ने लाशें देखी थीं। लाशों जैसे लोग देखे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश में इस दुख को कम करने की कोशिश की। ग़रीबों को मिलने वाले मुफ़्त अनाज की मियाद पांच महीने बढ़ा दी। बड़ी चतुराई के साथ इस मियाद के आखिरी दिनों को छठ पूजा से जोड़ा भी। गमछा और छठ पूजा सीधे बिहार से जुड़ते हैं और बिहार में चुनाव होने वाले हैं। अब राष्ट्र के नाम संदेश को कोई चुनावी न कह दे इसलिए सावधानी बरती। घोषणा से पहले कई त्योहारों के नाम गिना दिए ताकि बाद में समीक्षा के वक्त छठ पूजा को लेकर होने वाले बवाल के जवाब में उनकी पार्टी के प्रवक्ताओं को सहूलियत रहे। सही है, ग़रीबों की मदद करनी ही चाहिए। हर हाल में करनी चाहिए लेकिन जब ये ही लोग सड़कों पर मर रहे थे, तब सरकार कहां थी? ठीक है, प्रधानमंत्री ने ग़रीबी भोगी है। इसलिए ग़रीबों की हालत को अच्छी तरह जानते- समझते हैं। लेकिन मध्यम वर्ग भी तो इसी देश में रहता है। उसके बारे में कौन सोचेगा? आप...

सरकार 3 साल से जानती थी कि चीन के इन ऐप्स से खतरा है, पर गलवान की झड़प के 14 दिन बाद मैसेज देने के लिए सख्ती दिखाई

कोई 1500 साल पहले चीन में एक दार्शनिक हुए थे। नाम था- लाओ त्सु। वे कहते थे- हजारों मील का सफर एक छोटे कदम के साथ शुरू होता है। भारत ने भी सोमवार रात 59 चाइनीज ऐप्स पर बैन लगाकर शायद चीन के बायकॉट के लंबे सफर की शुरुआत कर दी है। गलवान घाटी में चीन के सैनिकों के साथ झड़प के 14 दिन बाद भारत ने यह कदम उठाया है, जबकि सरकार तीन साल से जानती थी कि इन ऐप्स से खतरा है।एक्सपर्ट्स की नजर में यह फैसला चीन को मैसेज देने के लिए है।इसके साथ ही यह बहस शुरू हो गई है कि इन ऐप्स पर बैन कितना जरूरी था और इसके आखिर मायने क्या हैं? 1. पहले बात सरकार की: आखिर इन ऐप्स पर बैन कैसे लगा? 2000 में बने आईटी कानून में एक धारा है- 69A। यह धारा कहती है कि देश की सम्प्रभुता, सुरक्षा और एकता के हित में अगर सरकार को लगता है, तो वह किसी भी कम्प्यूटर रिसोर्स को आम लोगों के लिए ब्लॉक कर देने का ऑर्डर दे सकती है। यह धारा कहती है कि अगर सरकार का ऑर्डर नहीं माना गया, तो सात साल तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। 59 ऐप्स पर इसी धारा के तहत बैन लगाया गया है। सरकार ने इसकी वजह क्या बताई? सरकार की तरफ से ज...

TikTok बैन होने के बाद भी लोग आसानी से कर पा रहे डाउनलोड, ढूंढ निकाला तोड़

TikTok बैन होने के बाद भी लोग इसे असानी से डाउनलोड कर पा रहे हैं और यूज भी कर रहे हैं। from Nai Dunia Hindi News - technology : tech https://ift.tt/3eGXlq6

आप भी करते हैं UPI पिन की मदद से पेमेंट, तो इन बातों का रखें ध्यान नहीं तो होगा भारी नुकसान

आप भी अगर UPI के माध्यम से पेमेंट और पैसे ट्रांसफर करते हैं तो इन बातों का जरूर रखें ध्यान नहीं तो होगा आपका नुकसान। from Nai Dunia Hindi News - technology : tech https://ift.tt/2BdNSby

TikTok के साथ PUBG और Zoom App क्यों नहीं हुए बैन, जानिए कारण

TikTok के बाद PUBG और Zoom App को भी बैन करने की मांग उठने लगी है, पढ़िए डिटेल्स। from Nai Dunia Hindi News - technology : tech https://ift.tt/2ZjAEBS