हाथरस गैंगरेप के आरोपियों के परिवार वाले बोले,‘हम इनके साथ बैठना-बोलना तक पसंद नहीं करते, हमारे बच्चे इनकी बेटी को छूएंगे?'
दिल्ली से करीब 160 किलोमीटर दूर हाथरस गैंगरेप पीड़िता का गांव जाति की बेड़ियों में जकड़ा नजर आता है। मैं जिस युवा की बाइक पर बैठकर मुख्य मार्ग से गांव तक पहुंची थी, उसने बात-बात में कहा, 'यहां के लोग मरना पसंद करेंगे, गैर बिरादरी में उठना-बैठना नहीं।' वो ठाकुर था। लेकिन घटना पर उसे गहरा अफसोस था। वो कहता है, उस दलित बच्ची के साथ बहुत गलत हुआ। दिल्ली में जब सफदरजंग अस्पताल में मैं पीड़िता के परिजनों से बात कर रही थी तब उसके भाई और पिता बार-बार जाति का जिक्र कर रहे थे। तब मेरे मन में ये सवाल कौंध रहा था कि क्या 2020 के भारत में भी इतना गहरा जातिवाद है? गांव पहुंचते ही इस सवाल का जवाब मिल गया। गिरफ्तार अभियुक्तों के परिवार के लोगों ने बार-बार कहा, 'हम इनके साथ बैठना तक पसंद नहीं करते, हमारे बच्चे इनकी बेटी को छूएंगे?' इस ठाकुर और ब्राह्मण बहुल गांव में दलितों के गिने-चुने घर हैं और उनकी दुनिया अलग है। यहां जातिवाद की जड़ें बेहद मजबूत हैं। लोग बात-बात में जाति की बात करते हैं। तथाकथित उच्च जाति के लोगों का तो यही कहना था कि ये दलित परिवार बहुत सज्जन है, किसी से कोई मतलब ...