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Showing posts from November, 2020

पर्यावरण, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में साथ काम कर सकते हैं भारत-अमेरिका

दुनियाभर के भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि है कि अमेरिका में दूसरे सबसे बड़े पद के लिए निर्वाचित कमला हैरिस का संबंध तमिलनाडु से है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति, जो बाइडेन ने अपने पूरे कॅरिअर के दौरान भारतीय-अमेरिकी संबंधों का समर्थन किया है। वर्ष 2006 में उन्होंने कहा था, ‘मेरा सपना है कि 2020 में भारत और अमेरिका दुनिया के दो सबसे करीबी देश होंगे।’ जनवरी में पदभार संभालने के बाद, उनके पास अपने इस सपने को साकार करने का बेहतरीन अवसर होगा। बाइडेन और हैरिस पहले ही रूपरेखा तैयार कर चुके हैं, जिसके आधार पर उनके प्रशासन ने भारत के साथ सहयोग करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। जलवायु इनमें सबसे प्रमुख मुद्दा है। उन्होंने साल 2050 तक अमेरिका को 100% स्वच्छ ऊर्जा वाली अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में शीघ्र कार्रवाई करने तथा दुनिया के दूसरे देशों को अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करने की शपथ ली है। इस प्रकार की वचनबद्धता का लाभ भारत को भी मिलेगा, क्योंकि इस क्षेत्र में अमेरिका और भारतीय उपमहाद्वीप के सामने मौजूद चुनौतियां एक सी हैं। मैं हिमाचल प्रदेश में एक बोर्डिंग स्कूल का छात्र था...

जब आप दुर्गुणों से लड़ते हैं तो दुनिया आपकी और आपके दुर्गुण दोनों की जयकार करती है

दुर्गुणों के लिए कहा गया है ‘विषरस भरा कनक घटु जैसे।’ इसका सीधा-सा अर्थ है जहर से भरा हुआ सोने का घड़ा। मनुष्य के दुर्गुण बड़े साइलेंट परफॉर्मर होते हैं, लेकिन गलत परिणाम देने में उतने ही विस्फोटक भी रहते हैं। इसीलिए इंसान सबसे ज्यादा मात अपने ही दुर्गुणों से खाता है। दूसरों को जीतना आसान है, पर खुद पर विजय बड़ा परिश्रम मांगती है। रावण दुर्गुणों का पुलिंदा था। हनुमान जैसे पराक्रमी को भी उसका सामना करने में कई कठिनाइयां आईं। युद्ध के दौरान एक बार तो ऐसी स्थिति बन गई कि तुलसीदासजी को लिखना पड़ा- ‘संभारि श्रीरघुबीर धीर पचारि कपि रावनु हन्यो। महि परत पुनि उठि लरत देवन्ह जुगल कहुं जय जय भन्यो।।’ श्रीराम का स्मरण कर धैर्यवान हनुमानजी ने ललकारकर रावण को मारा। वे दोनों पृथ्वी पर गिरते और फिर उठकर लड़ते। इस पर देवताओं ने दोनों की जय-जयकार की। इस प्रसंग में देवता दोनों की जय करते हैं, यह भी सोचने वाली बात है। जब आप दुर्गुणों से लड़ते हैं तो दुनिया आपकी और आपके दुर्गुण दोनों की जयकार करती है। यहीं पर हम भ्रम में आ जाते हैं। लेकिन, हनुमानजी को सबसे बड़ा सहारा था परमात्मा के स्मरण का। इसीलिए वे ...

गौरव राधानाथ सिकदर के नाम पर रखा जा सकता है माउंट एवरेस्ट का नाम

अंग्रेज शुरुआत में माउंट एवरेस्ट को पीक-15 कहते थे। तिब्बती भाषा में माउंट एवरेस्ट का नाम है चोमोलुंगमा, जिसका अर्थ है ‘विश्व की मां देवी’। नेपाली इसे संस्कृत शब्द सगरमाथा पुकारते हैं। फिर आए सर जार्ज एवरेस्ट, भारत के पहले सर्वेयर जनरल। उनके बाद कर्नल एंड्रयू स्कॉट वॉ सर्वेयर जनरल बने। 1852 में तय किया गया था कि इस पर्वत की ऊंचाई नापी जाए। यह काम सौंपा गया बंगाल के प्रसिद्ध गणितज्ञ राधानाथ सिकदर को। सिकदर ने 13 वर्ष की मेहनत के बाद, पर्वत पर चढ़े बिना अपनी गणितीय गणनाओं से 1865 में इसकी ऊंचाई 29,029 फीट आंकी थी। राज अंग्रेजों का था, सो पर्वत का नाम माउंट एवरेस्ट रखा गया। अब इसका नाम बदलने का प्रस्ताव विचाराधीन है। और बहुत संभव है कि इसका नाम बंगाल के गौरव राधानाथ सिकदर के नाम पर रखा जाए। नई दोस्ती, पुरानी दुश्मनी हालांकि अभी यह तय नहीं है कि पश्चिम बंगाल में तमाम वामपंथी, और नॉट सो वामपंथी- यू नो, फोर्सेज का दुश्मन नंबर एक कौन हो। फिर भी, पश्चिम बंगाल में कांग्रेस-सीपीएम गठबंधन लगभग तय है। अधीर रंजन चौधरी अपनी पुरानी दुश्मनी भुलाकर सीपीएम मुख्यालय जाने लगे हैं। अभी उनकी दुश्मन नंबर...

बाइडेन के आते ही अमेरिका-ईरान के रिश्ते बेहतर होने की उम्मीद बेकार, यह बहुत मुश्किल राह है

ईरान के शीर्ष न्यूक्लियर हथियार डिजाइनर की इजरायल द्वारा हत्या के कारण जो बाइडेन के लिए मध्य पूर्व का काम पहले दिन से ही मुश्किल हो जाएगा। बाइडेन इस क्षेत्र को अच्छे से जानते हैं, लेकिन अब यह चार साल पहले का मध्य पूर्व नहीं रहा। बाइडेन अगर नए मध्य पूर्व को समझना चाहते हैं तो उन्हें 14 सितंबर 2019 की घटना का अध्ययन करना चाहिए, जब ईरानी वायु सेना ने सऊदी अरब के महत्वपूर्ण ऑइल फील्ड्स में से एक एबाक़ाइक पर 20 ड्रोन व निर्देशित क्रूज मिसाइल से हमला कर दिया था। हमले की भनक न सऊदी को, न ही अमेरिकी रडार को लगी। इस ईरानी हमले, उसपर राष्ट्रपति ट्रम्प की प्रतिक्रिया और ट्रम्प की प्रतिक्रिया पर इजरायल, सऊदी अरब व यूएई की प्रतिक्रिया से मध्य पूर्व की तस्वीर पूरी तरह बदल गई। लोगों ने इसपर ध्यान नहीं दिया, इसलिए इसे फिर देखें। पहला, राष्ट्रपति ट्रम्प की प्रतिक्रिया क्या रही? उन्होंने कुछ नहीं किया। उन्होंने सऊदी अरब की ओर से कोई जवाबी हमला शुरू नहीं किया। हालांकि कुछ सप्ताह बाद ट्रम्प ने 3000 अमेरिकी सैनिक और कुछ एंटी-मिसाइल बैटरी सऊदी भेजीं। लेकिन साथ में संदेश भी दिया, ‘हम सऊदी की मदद के लिए सेना...

अटल-आडवाणी ने पंजाब की राजनीति को समझ लिया था, मोदी-शाह ऐसा नहीं कर पा रहे?

पंजाब की राजनीति को भाजपा कितना समझती है? मुझे लगता है कि इसका जवाब होगा कि उसे बहुत कमजोर समझ है। मोदी-शाह निश्चित तौर पर न पंजाब को समझते हैं, न पंजाबियों को, न उनकी राजनीति को और खासतौर पर सिखों को नहीं समझते हैं। वरना पंजाब के किसानों के विरोध-प्रदर्शनों के मामले में उन्होंने इस तरह गड्ढा न खोदा होता। उत्तर भारत में पंजाब इस मायने में अलग है कि उसने मोदी के जादू से खुद को अछूता रखा है। 2014 और 2019 के आम चुनावों में कुछ जगहों पर तो उन्होंने भाजपा की जगह ‘आप’ को वोट दिया, बावजूद इसके कि मुख्यतः सिखों का राजनीतिक दल, शिरोमणि अकाली दल भाजपा का सहयोगी था। उत्तर भारत में पंजाब ही ऐसा राज्य था, जहां दोनों चुनावों में कथित मोदी लहर बेअसर साबित हुई थी। 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में भी मोदी का पंजाब में कोई असर नहीं पड़ा। इतनी नाकामी के बाद भी मोदी और शाह को अगर पुनर्विचार की जरूरत नहीं महसूस हुई, तो किसानों के आंदोलन के मामले में अफरातफरी शायद उन्हें यह महसूस कराए। भाजपा अपने आलोचकों को जड़ों से दूर, अंग्रेजी भाषी बताकर खारिज करती है और अपनी भदेस लफ्फाजियों पर इतराती है। इसलिए उसे इस क...

ईश्वर हमेशा अमृत ही देता है, मनुष्य की विचार शैली उसे जहरीला बना देती है

‘द बंग’ और ‘अकीरा’ जैसी फिल्मों में अभिनय करने वाली सोनाक्षी सिन्हा ने मालद्वीप जाकर स्कूबा डाइविंग का कड़ा अभ्यास किया और योग्यता का प्रमाण पत्र भी प्राप्त किया। समुद्र तल तक जा सकने वाले एक्सपर्ट्स की पीठ पर ऑक्सीजन सिलेंडर बंधे होते हैं। ऑक्सीजन मीटर देखकर समय रहते ही स्कूबा डाइवर सतह पर आ जाता है। फिल्म ‘जिंदगी ना मिलेगी दोबारा’ में भी स्कूबा डाइविंग का सीन था। जेम्स बॉन्ड की फिल्म में भी नायक स्कूबा डाइवर है और खलनायक के आदमियों को मारता है। खबर है कि कोरल रीफ का ठेका दिया गया है। विगत वर्षों में यह औद्योगिक घराना पुराने धनाढ्य घराने से आगे निकल गया है। यह पुराना कुचक्र है कि धनवान, नेता को चुनाव लड़ने के लिए धन देता है और नेता मंत्री पद पाकर उसे अधिक धन बनाने का लाइसेंस देता है। भ्रष्टाचार भांति-भांति के मुखौटे धारण किए होता है। ज्ञातव्य है कि आशुतोष गोवारीकर की ऋतिक रोशन और ऐश्वर्या रॉय अभिनीत फिल्म ‘जोधा अकबर’ में अकबर की मां की भूमिका श्रीमती शत्रुघ्न सिन्हा ने निभाई थी। यही पात्र जोधा के खिलाफ षड्यंत्र रचने वालों को उजागर करके दंड दिलवाता है। बहरहाल सोनाक्षी को अपना वजन कम...

कुछ बड़ा नहीं, बस थोड़ा-सा हटकर कुछ करके देखिए, आप कई दिल जीत लेंगे

ज्या दातर लोग हमारे देश में विस्तृत रेल नेटवर्क बनाने का श्रेय अंग्रेजों को देते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि तत्कालीन शासकों ने कभी वहां रेलवे नेटवर्क नहीं बनाया, जहां संबंधित राजा मजबूत थे। उदाहरण के लिए कोंकण बेल्ट, जहां शिवाजी और उनका वंश मजबूत प्रतिद्वंद्वी थे या कर्नाटक और तमिलनाडु के कुछ हिस्से, जहां एक और मजबूत प्रतिद्वंद्वी टीपू सुल्तान थे। इंफ्रास्ट्रक्टर की गैर-मौजूदगी का सीधा नतीजा यह हुआ कि स्थानीय लोग हमेशा सड़कमार्ग से आते-जाते हैं और इसीलिए कुछ जगहों पर रोड इंफ्रास्ट्रक्चर, रेलवे की तुलना में मजबूत नजर आता है। लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर, अगली पीढ़ी के कुछ लोगों के लिए ट्रेन देखना अब भी दुर्लभ है। तमिलनाडु के पुडुक्कोट्‌टई जिले में ग्रामीण स्कूल के बच्चों का ऐसा ही एक समूह था। लॉकडाउन के ठीक पहले स्कूल के हेडमास्टर एस एंटोनी को यह जानकर हैरानी हुई कि 230 छात्रों में से बहुत कम छात्रों ने रेल यात्रा की थी। इसलिए उन्होंने 2020 ग्रीष्मावकाश के दौरान उन्हें रेल यात्रा पर ले जाने का फैसला लिया। लेकिन जब अचानक हुए लॉकडाउन ने योजना को पटरी से उतार दिया तो एंटनी ने बच्चों...

क्या फ्लाइट में सफर करना मुश्किल भरा होगा? जानें कोरोना के दौर में क्या बदलने वाला है?

कोरोनावायरस ने किसी इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है, तो वो है एविएशन। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) का अनुमान है कि कोरोना की वजह से दुनियाभर की एविएशन इंडस्ट्री को अभी तक 31 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है। भारत समेत कई देशों में डोमेस्टिक फ्लाइट तो शुरू हो गई हैं, लेकिन इंटरनेशनल फ्लाइट अभी भी पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाई हैं। यही वजह है कि कोरोना के असर से इंडस्ट्री को उबारने के लिए IATA एक नया प्लान लेकर आई है और वो है कोविड पासपोर्ट। ये क्या है? इसकी जरूरत क्यों पड़ी? क्या इससे हवाई सफर करना मुश्किल हो जाएगा? आइए जानते हैं... कोविड पासपोर्ट क्या है? दरअसल, IATA एक मोबाइल ऐप पर काम कर रहा है, जो दुनियाभर में ट्रैवल पास की तरह समझा जाएगा। इस ऐप को कोरोना की वजह से लाने का प्लान है, इसलिए इसे कोविड पासपोर्ट कहा जा रहा है। IATA के इस ऐप में यात्री के कोरोना टेस्ट, उसे वैक्सीन लगी है या नहीं (वैक्सीन आने के बाद) जैसी जानकारी होगी। इसके साथ ही इस ऐप में यात्री के पासपोर्ट के ई-कॉपी भी होगी। इस ऐप पर यात्री का QR कोड होगा, जिसे स्कैन करते ही उसकी सा...

पिछले 6 साल में 10 राज्यों में BJP की सरकार बनी और 7 में CM; 4 में अभी भी इंतजार

हैदराबाद में निकाय चुनाव के लिए आज मतदान हो रहा है। इससे पहले यहां का चुनावी कैंपेन सुर्खियों में रहा। राष्ट्रीय स्तर पर भी इसे खासी तवज्जो मिली। इसके पीछे वजह रही BJP के बड़े नेताओं का मैदान में उतरना। गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और यूपी के फायरब्रांड मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे दिग्गजों ने यहां रोड शो और रैलियां कीं। अब सवाल उठता है कि आखिर निकाय चुनाव के लिए BJP बड़े नेताओं को क्यों मैदान उतार रही है। 90 के दशक में तो अटल-आडवाणी विधानसभा चुनावों में भी ऐसा कैंपेन नहीं करते थे। दरअसल, तब की भाजपा और अब की भाजपा और उसकी पॉलिटिकल स्ट्रेटजी में बहुत कुछ बदला है। इसे समझने के लिए हमें फ्लैशबैक में जाना होगा। 2014 में प्रचंड बहुमत के साथ देश में भाजपा की सरकार बनी। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और अमित शाह मैन ऑफ द मैच। इस पॉलिटिकल टूर्नामेंट को जीतने के दो महीने बाद भाजपा की कमान अमित शाह को सौंप दी गई। इसके बाद मोदी-शाह की जोड़ी ने अपनी टीम और रणनीति दोनों नए सिरे से गढ़ना शुरू किया। पी टू पी यानी पंचायत से पार्लियामेंट के फार्मूले पर काम करना शुरू किया। पार्टी के ...

कोरोना ने खत्म किया बिजनेस तो इंडली-सांभर का स्टॉल लगाया, हर महीने 50 हजार कमा रहीं

आज कहानी इलाहाबाद की गीता जायसवाल की। कभी एक-एक रुपए के लिए परेशान थीं। बेटी की पढ़ाई तक अच्छे से नहीं करवा पा रहीं थीं। आज महीने का 50 हजार रुपए कमाती हैं। टिफिन सेंटर शुरू करने से लेकर इडली-सांभर के स्टॉल तक की उनकी कहानी इंस्पायरिंग है। ये कहानी जानिए उन्हीं की जुबानी... गीता बताती हैं- ये बात इलाहाबाद की है। तब मैं पति के साथ रहती थी। एक छोटी बच्ची थी। पति जो कमाते थे, उससे बमुश्किल घर चल पाता था। मेरे पास अपनी बेसिक जरूरतों को पूरा करने के भी पैसे नहीं होते थे। बच्ची की अच्छी पढ़ाई-लिखाई भी हम नहीं करवा पा रहे थे। उन्होंने कहा, 'मैं सोच रही थी कि, ऐसा क्या करूं, जिससे चार पैसे कमा सकूं। किसी ने मुझे टिफिन सेंटर शुरू करने की सलाह दी। मैं एक लड़की को टिफिन देने लगी। कुछ दिन बाद एक पीजी का काम मुझे मिल गया। वहां 15 बच्चों के लिए खाना देना था। तब मैं 1800 रुपए में तीन टाइम खाना दिया करती थी। सुबह से देर रात तक मेहनत होती थी, लेकिन इससे मेरे पास महीने के आठ से दस हजार रुपए बचने लगे थे।' 'खाना अच्छा था तो धीरे-धीरे टिफिन बढ़े और संख्या 40 तक पहुंच गई। 2011 से 2016 तक यही चलत...

लव जिहाद पर बहसः देश के 9 राज्यों में धर्म परिवर्तन रोकने का कानून; पाक में ऐसा करने पर उम्रकैद तक

'मौजूदा कानूनों में 'लव जिहाद' शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है। किसी भी केंद्रीय एजेंसी द्वारा 'लव जिहाद' का कोई मामला सूचित नहीं किया गया है।' ये जवाब है गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी का, जो उन्होंने इस साल 4 फरवरी को केरल में लव जिहाद के मामले को लेकर पूछे गए सवाल पर दिया था। इसका जिक्र इसलिए, क्योंकि कानून में 'लव जिहाद' नाम का कोई शब्द है ही नहीं, फिर भी आजकल इसकी चर्चा हर तरफ हो रही है। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश तो बाकायदा अध्यादेश लेकर आ गए हैं। हालांकि, वो अध्यादेश शादी के लिए जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए लाया गया है। लेकिन, इसे लव जिहाद के खिलाफ ही माना जा रहा है। अब जब इस पर इतनी बहस शुरू हो ही गई है, तो ये जानना जरूरी है कि हमारे देश के कितने राज्यों में जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कानून है? क्या दूसरे देशों में भी ऐसे कानून हैं? और क्या ऐसा कानून बना पाना वाकई संभव है। सबसे पहले बात आजादी से पहले की आजादी से पहले ब्रिटिश इंडिया के समय जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कोई कानून नहीं था। लेकिन, उस समय भी देश की चार रियासत...

टूरिज्म इंडस्ट्री को 80% तक नुकसान; जिन होटलों में 40 कमरे, वहां 10 भी बुक नहीं हो रहे

दार्जिलिंग की पहाड़ियों से कंचनजंगा की सफेद बर्फ को देखने के लिए लोग देश के कोने-कोने से आते हैं। यहां की खूबसूरत घाटियां, पहाड़ी झरने, घास के मैदान, पहाड़ी ढलान और दूर तक दिखते चाय के बागान पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं। लेकिन कोरोना ने दार्जिलिंग की दिलकश वादियों और आंखों में बस जाने वाले नजारों से पर्यटकों को दूर कर दिया है। टी, टिंबर और टूरिज्म के लिए मशहूर दार्जिलिंग में चाय के नए बागान लग नहीं रहे हैं। टिंबर उद्योग दम तोड़ चुका है। टूरिज्म को कोरोना ने करीब-करीब खत्म ही कर दिया है। दार्जिलिंग में हालात बेहद मुश्किल हो गए हैं। जंगलों में सैलानियों को घुमाने वाले लोग घर चलाने के लिए अवैध शिकार की तरफ भी मुड़ सकते हैं। गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन के असिस्टेंट डायरेक्टर टूरिज्म सूरज शर्मा कहते हैं, 'पहले के मुकाबले अभी 15-20% पर्यटक ही आ रहे हैं। अभी दशहरे के दौरान चार दिन कुछ टूरिस्ट आए, लेकिन ज्यादातर पश्चिम बंगाल के ही थे। बाहर के पर्यटक अभी नहीं आ रहे हैं।' शर्मा कहते हैं, 'कई महीने तो सबकुछ बंद रहा। अब होटल खुले हैं लेकिन 15-20% से ज्यादा बुकिंग नहीं है। ज...

अमेरिका की नौकरी छोड़ पत्नी के साथ शुरू किया फूड ट्रक, अब सालाना डेढ़ करोड़ का टर्नओवर

सत्या और ज्योति यूएस में रहते थे। सत्या वहां ई-कॉमर्स सेक्टर में नौकरी कर रहे थे। उनकी पत्नी ज्योति भी जॉब में थीं। कुछ साल बाद दोनों भारत वापस आ गए। उनका इरादा अपना फूड बिजनेस शुरू करने का था। दोनों ने शुरूआत किसी होटल या रेस्टोरेंट से करने के बजाय एक फूड ट्रक से की। आज उनके पास तीन फूड ट्रक हैं। सालाना टर्नओवर डेढ़ करोड़ पहुंच चुका है। बीस लोगों को नौकरी भी दे रहे हैं। सत्या ने अपने बिजनेस की कहानी भास्कर से शेयर की। मास्टर्स करने यूएस गए, वहीं सीखा वैल्यू ऑफ मनी सत्या कहते हैं- इंजीनियरिंग के बाद मैं मास्टर्स करने यूएस गया था। पढ़ाई के खर्चे के लिए कुछ लोन लिया था। लोन चुकाने के लिए मैंने पार्ट टाइम जॉब किया। यूएस में अपना सारा काम खुद ही करना होता है। न पैरेंट्स होते हैं, न रिश्तेदार। यही वह चीज होती है, जिससे हम जिदंगी को समझते हैं। वैल्यू ऑफ मनी को समझते हैं। पढ़ाई के साथ पार्ट टाइम जॉब करते हुए मैं ये सब सीख रहा था। फिर ई-कॉमर्स सेक्टर में जॉब करने लगा। वहीं ज्योति से मुलाकात हुई और 2008 में हमारी शादी हो गई। शादी के बाद हम भारत वापस आ गए। ज्योति के पिता बिजनेसमैन हैं। वे लॉजिस्...

कुछ धनाढ्य लोगों को किसान की मेहनत से भरपूर लाभ मिल सके, ऐसी व्यवस्था की जा रही है

सआदत हसन मंटो की ‘किसान कन्या’ से ‘मदर इंडिया’ तक किसान और सूदखोर महाजन पर फिल्में बनती रहीं हैं। ‘मदर इंडिया’ के पहले बिमल रॉय की बलराज साहनी अभिनीत ‘दो बीघा जमीन’ किसान कर्ज और उसके मजदूर बनाए जाने की कथा प्रस्तुत करती है। यह दु:खद है कि किसान फिल्में महानगरों व बड़े शहरों में प्रदर्शित की गईं। आज भी हजारों गांवों में बिजली नहीं पहुंची है। संजीव बक्षी की एक कथा में गांव वाले बिजली लाने का वादा करने वालों को अपनी जमीन मुफ्त में देते हैं। सरकारें बदलती रहीं परंतु बिजली नहीं आई। कुछ वर्ष पश्चात किसान आंदोलन करते हैं। अश्रु गैस और लाठियां उनका उत्साह नहीं तोड़ पातीं। व्यवस्था उन्हें जेल भेज देती है। जेल में बिजली है, रोशनी है। किसान प्रसन्न है कि कहीं तो रोशनी है। ‘मदर इंडिया’ के पहले बिमल रॉय ‘दो बीघा जमीन’ बना चुके थे। इसके कोई एक दशक बाद फ़िल्मकार जेटली ने मुंशी प्रेमचंद की कथा ‘दो बैलों की कहानी’ से प्रेरित ‘हीरा मोती’ बनाई। वे ‘गो दान’ और ‘सेवा सदन’ भी बनाना चाहते थे परंतु उनकी असमय मृत्यु हो गई। इसके लगभग आधी सदी बाद आशुतोष गोवारिकर और आमिर खान की ‘लगान’ प्रदर्शित हुई। विगत कुछ...

अगर आप हुनरमंद हैं, तो हर स्तर पर और हर मौके पर उसे दिखाएं, उसे प्रदर्शित करें

मुझे रोज़ देशभर के युवाओं से लगभग आधा दर्जन खत मिलते हैं, जिनमें वे लिखते हैं कि हम जिस दुनिया में रहते हैं, वह हमें समझ नहीं पाती है। उन्हें लगता है कि हम दुनिया उन्हें नौकरी देकर उनकी क्षमता जांचने का मौका नहीं देती है और नौकरी देने वाली पीढ़ी युवा पीढ़ी से पूरी तरह जुड़ नहीं पाती है। मैं उन्हें विनम्र जवाब भेजता हूं कि पूरी पीढ़ी पर राय बनाने की जगह, क्या वह बता सकते हैं कि उनमें क्या हुनर है या किस क्षेत्र में वे खुद को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं, ताकि अवसर मिलने पर मैं उनके खत ऐसे व्यक्ति को भेज सकूं, जिसे उनके कौशल की तलाश है। ऐसे खत मुझे डोनाल्ड गूल्ड की याद दिलाते हैं। जैसा कि कई लोगों के साथ होता है, डोनाल्ड ने एक त्रासदी के बाद खुद को खोया हुआ पाया। मॉर्फीन के ओवरडोज से उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई, जिससे उन्हें 3 वर्षीय बेटे की कस्टडी से हाथ धोना पड़ा। पलक झपकते ही उनकी दुनिया बिखर गई। यह सेनानिवृत्त सिपाही ड्रग्स की लत लगने के बाद सरासोटा, फ्लोरिडा की सड़कों पर आ गया। इस शहर में विभिन्न क्षेत्रों में सात पियानो रखे गए हैं, जिन्हें कोई भी बेंच पर बैठकर बजा सकता है। डोनाल्ड ने उनमें से...

किस कंपनी का वैक्सीन किस स्टेज में; जानिए कब तक कहां और कितने का मिलेगा कौन-सा वैक्सीन?

कोरोनावायरस से बचाने के लिए वैक्सीन बनाने की होड़ फिनिश लाइन के करीब पहुंच गई है। चार कंपनियों ने अपने फेज-3 ट्रायल्स यानी ह्यूमन ट्रायल्स के अंतिम फेज के नतीजे घोषित कर दिए हैं। अब तक चारों ने ही अपने-अपने वैक्सीन का एफिकेसी रेट 90% या इससे ज्यादा प्रभावी बताया है। दरअसल, यह एफिकेसी रेट ही किसी वैक्सीन को अप्रूव करने का आधार बनता है। यह क्या है और कैसे निकाला जाता है, आइए समझते हैं... वैक्सीन की एफिकेसी कैसे पता चलती है? यह एक लंबी और उलझी हुई प्रक्रिया है। रिसर्चर किसी वैक्सीन का ट्रायल करते हैं तो उसमें शामिल आधे लोगों को वैक्सीन लगाते हैं और आधे लोगों को प्लेसेबो यानी सलाइन देते हैं। फिर कुछ महीनों तक वॉलंटियर्स की निगरानी की जाती है और इस दौरान अलग-अलग जांच होती रहती है। ब्लड टेस्ट से देखते हैं कि शरीर में एंटीबॉडी डेवलप हुए हैं या नहीं। इंतजार किया जाता है कि किस ग्रुप के कितने लोग वायरस के लिए पॉजिटिव होते हैं। फाइजर के केस में कंपनी ने 44 हजार वॉलेंटियर्स को डोज दिया। कुछ महीनों की निगरानी में 170 लोगों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इनमें से 162 लोगों को प्लेसेबो दिया गया थ...

कोरोनावायरस के हमले पर कैसे रिएक्ट करता है हमारा शरीर? वैक्सीन की जरूरत क्यों?

कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को बुरी तरह प्रभावित किया है। जनवरी में यह चीन से बाहर फैला और धीरे-धीरे पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। जान बचाने के खातिर हर स्तर पर कोशिशें तेज हो गईं। करीब 11 महीने बाद भी रिकवरी की हर कोशिश को कोरोना ने नई और ताकतवर लहर के साथ जमींदोज किया है। ऐसे में महामारी को रोकने के लिए सिर्फ वैक्सीन से उम्मीदें हैं। पूरी दुनिया में वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। जब दुनियाभर में वैज्ञानिक कोरोनावायरस को खत्म करने के लिए वैक्सीन बनाने में जुटे हैं तो यह जानना तो बनता है कि इसकी जरूरत क्या है? मेडिकल साइंस को समझना बेहद मुश्किल है। आसान होता तो हर दूसरा आदमी डॉक्टर बन चुका होता। हमने विशेषज्ञों से समझने की कोशिश की कि कोरोनावायरस शरीर पर कैसे हमला करता है? उस पर शरीर का जवाब क्या होता है? वैक्सीन की जरूरत क्यों है? वैक्सीन कैसे बन रहा है? यहां आप 5 प्रश्नों के जवाब के जरिए जानेंगे कि - कोरोनावायरस के हमले पर शरीर का रिस्पॉन्स क्या होता है? कोरोनावायरस को खत्म करने के लिए वैक्सीन की जरूरत क्या है? किस तरह से वैक्सीन बनाए जा रहे हैं? वैक्सीन के ...